Dhaar ka Kila Dhar Jila Madhya Pradesh
धार का किला धार जिले का एक मुख्य पर्यटन स्थल है। यह एक प्राचीन किला है। यह किला मुख्य धार शहर में स्थित है। यह किला एक ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। हमारी यात्रा में हम लोग धार जिला भी घूमने के लिए गए थे और धार जिले में हम लोगों ने धार का किला घुमा। वैसे यह किला पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो गया है। धार के किले के अंदर जितने भी महलों का निर्माण किया गया है। वह महल धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील होते जा रहे हैं। वैसे जब हम लोग गए थे। तब यह महल पूरी तरह खंडहर में तब्दील हो ही गए थे। धार के किले के अंदर हम लोगों को खरबूजा महल, शीश महल, किले के बुर्ज देखने के लिए मिले। धार किले के बुर्ज से धार शहर का नजारा बहुत ही सुंदर दिखाई दे रहा था। धार किले के अंदर पूरे किले में झाड़ियां और पेड़ पौधे लगे हैं। इस किले को अच्छी तरह से मेंटेन करके नहीं रखा गया है। किले के अंदर संग्रहालय भी है, जहां पर बहुत सारी प्राचीन मूर्तियों का संग्रह करके रखा गया है। हम लोगों ने यह सभी चीजें घूमे। हम लोगों को धार किला देखकर बहुत अच्छा लगा मगर किले की, जो हालत है। उसे देख कर थोड़ा बुरा लगा।
हमारे इंदौर के सफर में हम लोग गुलावट झील और यशवंत सागर बांध घूम कर, धार जिले में घूमने के लिए गए। पहले हम लोगों ने सोचा था, कि देपालपुर जाएंगे। मगर वहां का जाने का प्लान हम लोगों ने छोड़ दिया और हम लोग सीधे धार चले गए। हम लोग इंदौर धार हाईवे सड़क से होते हुए, धार पहुंच गए। यशवंत सागर बांध से इंदौर धार हाईवे सड़क आने के लिए हम लोगों को, जो कच्ची सड़क मिली थी। वह बहुत ही ज्यादा भयानक थी। हम लोगों को करीब 2 से 3 घंटे उस कच्ची सड़क में लग गए। यशवंत सागर बांध से निकल कर हम लोग कच्ची सड़क से होते हुए बेटमा पहुंच गए थे। बेटमा, यशवंत सागर डैम से करीब 25 किलोमीटर दूर है। बेटमा से हम लोगों को अच्छी सड़क मिली और हम लोग अपने स्कूटी को रफ्तार से यहां पर चलाएं।
हम लोग करीब 30 या 45 मिनट में धार शहर पहुंच गए। धार शहर में पहुंचकर, हम लोगों ने सबसे पहले चाय और नाश्ता किया। उसके बाद शहर में प्रवेश किया। थोड़ी दूर जाकर ही हम लोगों को धार का किला देखने के लिए मिला। हम लोग धार के किले की तरफ चल दी है। धार के किला पहाड़ी के ऊपर बना हुआ है। यह किला दूर से ही दिखने लगता है। धार के किले की तरफ जाते हुए, हम लोगों को लाल बाग गार्डन भी देखने के लिए मिला। लाल बाग गार्डन धार जिले में प्रसिद्ध है और बहुत बड़ा गार्डन है। यहां पर खरगोश देखने के लिए मिल जाते हैं और यहां पर बहुत सारे झूले भी लगे हुए हैं। यहां से आगे बढ़ने पर घोड़ा चौक पड़ता है। घोड़ा चौक से सीधे हाथ की तरफ हम लोगों को मुड़ना था। हम लोग सीधे हाथ की तरफ मुड़ गए और हम लोगों को खेल का मैदान देखने के लिए मिला और थोड़ा आगे जाकर, हम लोगों को धार किले का गेट देखने के लिए मिला।
धार के किले का प्रवेश द्वार प्राचीन है। हम लोग इस प्रवेश द्वार से किले के अंदर प्रवेश किया है। यहां से चढ़ाई वाला रास्ता था और यह रास्ता ज्यादा चौड़ा नहीं था और रास्ते के नीचे पत्थर लगे हुए थे। यहां पर हम लोग को स्कूटी चलाने में थोड़ी दिक्कत हो रही थी। मगर बाइक और कार वगैरह आराम से इस रास्ते में जा सकती है। किले की चढ़ाई वाले रास्ते में हम लोगों को हनुमान जी का मंदिर देखने के लिए मिला और दरगाह देखने के लिए मिली। यह दरगाह बहुत प्रसिद्ध है। हम लोगों ने हनुमान मंदिर और दरगाह के बाहर से ही दर्शन किए और किले के मुख्य प्रवेश द्वार में पहुंच गए। हम लोगों ने किले के मुख्य प्रवेश द्वार के अंदर अपनी गाड़ी लेकर गए और गाड़ी को पार्किंग में खड़ा किया। धार किले के अंदर ही पार्किंग के लिए जगह है।
हम लोगों ने अपनी गाड़ी खड़ी किया। उसके बाद हम लोगों ने किले का टिकट लिया। यहां पर एक मैडम बैठी हुई थी, जिन्होंने हम लोगों को किले का टिकट दिया। किले और संग्रहालय में प्रवेश के लिए, यह टिकट 10 रुपए का था। हम लोग दो व्यक्ति थे। इसलिए हमारा 20 रुपए लगा। हम लोग सबसे पहले किले के अंदर जितने भी महल थे। वह घूमने के लिए गए। इन महल की तरफ जाने वाला, जो रास्ता था। वह पूरा झाड़ियों और पेड़ पौधों से घिरा हुआ था। छोटा सा गलियारा बना हुआ था। जिस से चलकर, हम लोग महल में पहुंचे हैं।
सबसे पहले हम लोगों को शीश महल देखने के लिए मिला। शीश महल पूरी तरह से खराब हो चुका है। यह महल खंडहर में तब्दील हो चुका है। यह महल दो मंजिला है। शीश महल के निचले भाग को हम लोग ने बाहर से ही देखा। क्योंकि अंदर यहां पर चमगादड़ थे और बहुत अंधेरा था। इसलिए हम लोग अंदर नहीं गए। महल के बाजू में सीढ़ियां दी गई है, जिससे हम लोग महल के ऊपर गए। शीश महल के सामने पूरा जंगल बन गया है। यहां पर ज्यादा मेंटेन करके नहीं रखा गया है, तो पूरा जंगल बन गया है और लोकल लोगों की यहां पर बकरियां घूमती रहती है। यहां पर हम लोगों ने फोटो खींचा। उसके बाद हम लोग खरबूजा महल घूमने के लिए गए। खरबूजा महल शीश महल के पीछे ही बना हुआ है।
खरबूजा महल धार किले का सबसे प्रसिद्ध महल है। इस महल के बारे में कहा जाता है, कि इस महल में बाजीराव की पत्नी ने शरण लिया था और यहां पर उन्होंने पुत्र को जन्म दिया था। खरबूजा महल के निचले भाग में दरवाजे लगा थे। किले के ऊपरी भाग में हम लोग घूमने गए। ऊपरी भाग काफी अच्छा है और यहां पर ज्यादा टूट-फूट नहीं हुई है। खरबूजा महल के ऊपरी भाग से हम लोगों को धार जिले का बहुत सुंदर दृश्य दिखाई दे रहा था। यहां से हम लोगों को मंजु सागर झील देखने के लिए मिल रही थी और गढ़कालिका मंदिर देखने के लिए मिल रहा था। यह महल किले के सबसे आखिरी छोर में बना हुआ है। यहां पर हम लोग कुछ देर रुके, फोटोग्राफी कि। उसके बाद हम लोग आगे के महल की तरफ बढ़े।
खरबूजा महल के बाहर एक बड़ा सा पेड़ डाला हुआ था। जो शायद गिर होगा और यह पूरा पेड़ सूख गया था, तो उस पर हम लोगों ने चढ़कर अपनी बहुत सारी फोटो खिंचाई। उसके बाद हम लोग यहां पर आगे बढ़े। यहां पर हमको सप्त कोठरी देखने के लिए मिला। सप्त कोठरी महल भी बहुत सुंदर था और इस महल में 7 छोटे छोटे कमरे बने हुए हैं। इसलिए इस महल को सप्त कोठरी कहते हैं। मगर यह भी अच्छी हालत में नहीं था। यहां भी खंडहर अवस्था में यहां पर देखने के लिए मिलता है। यहां पर हमको किले का बुर्ज देखने के लिए मिला। इस बुर्ज से दूर-दूर तक का दृश्य देखने के लिए मिलता है। हम लोगों ने यहां पर अपनी बहुत सारी फोटो क्लिक करें और यहां पर एक छोटा सा छतरी टाइप का स्मारक बना हुआ था, जहां पर हम लोग कुछ देर बैठे। उसके बाद हम लोग वापस आ गए और संग्रहालय में घूमने के लिए गए।
हम लोग धार किले के संग्रहालय के अंदर प्रवेश किए। यहां पर संग्रहालय के बगीचे में बहुत सारी मूर्तियों का संग्रह किया गया है। यहां पर सुंदर गार्डन बना हुआ है। गार्डन में बहुत सुंदर सुंदर फूल लगे हुए थे। गार्डन के किनारे किनारे पर मूर्तियां रखी गई हैं। यहां पर बहुत सारी प्राचीन मूर्तियां रखी गई हैं और अलग-अलग जगह से लाई गई हैं और अलग-अलग शताब्दी की मूर्तियां है। यह सारी जानकारियां मूर्ति में देखने के लिए मिलती हैं। संग्रहालय के बाहर मूर्तियां देखने के बाद, हम लोग संग्रहालय के अंदर गए। तो यहां पर हमें शिव भगवान जी, विष्णु भगवान जी की मूर्तियां देखने के लिए मिली। यह मूर्तियां बहुत प्राचीन थी। यहां पर जैन धर्म की गैलरी बनी हुई थी, जहां पर जैन धर्म से संबंधित बहुत सारी मूर्तियां देखने के लिए मिले।
मूर्तियों देखने के बाद, हम लोग आगे आए। तो हम लोगों को यहां पर शिलालेख देखने के लिए मिले। यहां पर बहुत सारे बहुत सारे प्राचीन शिलालेख देखने के लिए मिले। कुछ शिलालेख यहां पर टूट भी गए थे। वैसे इन शिलालेखों में जो भाषा लिखी थी। वह हम लोगों को समझ में नहीं आ रही थी। मगर इनमें बहुत सारी जानकारी दी गई थी। यह सभी चीज देखकर हम लोग संग्रहालय के बाहर आ गए और हम लोगों ने पूरा किला घूम लिया थे। वैसे हम लोग किले के एक भाग में घूमने के लिए नहीं गए थे। जहां पर किले में बावड़ी बनी हुई है। धार का किला अच्छी तरह से मैनेज करके नहीं रखा गया है। पूरे किले में जंगल उग आया है। इसलिए हम लोग किले में सीमित जगह में ही घूमे।
धार का किला बहुत सुंदर है और हमारे जो भी प्राचीन विरासत है। हमें उन्हें संभाल कर रखना चाहिए। हम लोगों को यह किला बहुत अच्छा लगा। मगर इस किले में थोड़ा सा सुधार करना चाहिए और साफ सफाई करनी चाहिए और मरम्मत करवानी चाहिए। ताकि यह किला बहुत ही अच्छा लगे और यहां पर बहुत सारे पर्यटक घूमने के लिए आए।
धार दुर्ग (किले) का इतिहास - History of Dhar Fort
परमार राजा भोज देव के समय यह किला धारागिरी लीलोदयान के नाम से प्रसिद्ध था। परिवर्ती परमार के समय इस किले का दुर्गीकरण किया गया तथा 13वीं सदी ईस्वी के उत्तरार्ध में परमार प्रधानमंत्री गोगा चौहान के नेतृत्व में यह सैन्य केंद्र रहा है। 1305 ईसवी में अलादीन खिलजी के समय आईनुल मुल्क मुल्तानी ने प्रवेश द्वार तोड़कर दुर्ग पर कब्जा कर लिया तथा इसी ने पुनः इसे बनवाकर दुर्गीकरण पूर्ण किया। धार दुर्ग में एक परमार कालीन बावड़ी भी है, जिसके ऊपर ही भित्ति सुल्तानों के समय निर्मित की गई है। दुर्ग में स्थित आवासीय भवन तथा शीशमहल सप्त कोठी का निर्माण सुल्तानों मुगलों के समय हुआ। अनेक वीरों का यह निवास स्थान रहा।
इसमें प्रमुख है - दिल्ली सल्तनत का प्रथम गवर्नर आईनुल मुल्क मुल्तानी मलिक काफूर, मोहम्मद बिन तुगलक का सूबेदार अजीज खाम्बर आदि। स्वयं मोहम्मद बिन तुगलक 1346 ईस्वी में शीश महल में कुछ समय रुका था। 1406 ईस्वी में होशंगशाह ने माण्डव को अपनी राजधानी बना लेने के पश्चात, यह दुर्ग से सैन्य कार्यों में उपयोगी रहा। मराठों के आगमन के बाद, यह दुर्ग पवार के अधीन रहा। इस दौरान खरबूजा महल का निर्माण हुआ। इसी दौरान किले में निर्माण व मरम्मत कार्य भी हुए। पेशवा रघुनाथ राव की पत्नी आनंदीबाई गर्भावस्था के दौरान यहां पर रही थी तथा 1774 में एक पुत्र को जन्म दिया, जो बाजीराव पेशवा द्वितीय के नाम से जाना गया।
धार दुर्ग का शीश महल - Sheesh Mahal of Dhar Fort
धार किला परिसर के अंदर उतरी भित्ति दिशा में शीश महल निर्मित है। यह दो मंजिला महल है, जिसके चारों ओर लघु कक्ष एवं ऊपर छत पर वर्गाकार मेहराबदार शिखर बने हुए हैं। महल का मेहराब दार स्तंभों पर आधारित प्रवेश द्वार, महल के पूर्वी भाग के अंदर नीचे विशाल हॉल, इसके अतिरिक्त मेहराब दार प्रवेश द्वार के लघु कक्ष आदि निर्मित है। इस महल का निर्माण दिल्ली सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक के द्वारा ईस्वी सन् 1326 से 1351 में करवाया गया था। मुहम्मद बिन तुगलक दौलताबाद से दिल्ली लौटते समय अपने शिविर धार में लगाया था। उस समय शाही निवास के लिए इस महल का निर्माण कार्य करवाया गया था।
धार किला का खरबूजा महल - Kharbooja Palace of Dhar Fort
धार किला परिसर के अंदर उतरी भित्ति दिशा पर पूर्वाभिमुखी खरबूजा महल निर्मित है। इस महल का आकार पूर्व से खरबूजा की तरह था। इसलिए इस महल का नाम खरबूजा महल पड़ा। यह महल दो मंजिला था और साधारण लघुकक्ष का राजप्रसाद है। इस महल की संरचना मुगलकालीन स्थापत्य शैली में तैयार किया गया है, परंतु कहीं-कहीं पर राजपूताना शैली का प्रभाव भी स्पष्ट दिखाई देता है। मराठा सेनापति राधोबा - दादा पुणे से भागने पर, 1773 ईस्वी में इस किले के परिसर में ठहरे थे, जो पेशवा माधवराव प्रथम के काका श्री थे। पेशवा माधवराव प्रथम की पत्नी आनंदीबेन ने यहां पर 24 जनवरी सन 1974 को एक शिशु को जन्म दिया, जो बाद में पेशवा बाजीराव द्वितीय के नाम से प्रसिद्ध हुआ था। महल के लघु शिखर, मेहराबदार प्रवेश द्वार, जालियां आदि आकर्षक है।
धार किले का सप्त कोठरी - Sapta Kothari of Dhar Fort
धार किले की चार दीवारों के अंदर उत्तरी दिशा में परकोटे के समीप में स्थित इस महल को सप्त कोठरी के नाम से जाना जाता है। दक्षिणमुखी इस महल के अंदर 7 लघु कक्षों का निर्माण किया गया है। इस महल के अंदर रात्रि में प्रकाश व्यवस्था के लिए दीपक जलाने के लिए कुलिकाये निर्मित की गई हैं। इस महल के अंदर बाहर जाने के लिए मेहराब दार प्रवेश द्वारों का निर्माण किया गया है। किला परकोटा के समीप निर्मित होने से संभवतः यह महल बाहरी एवं आंतरिक सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए, यहां पर सैनिकों के विश्राम कक्ष रहे होंगे। यह महल ईट चुना मसालों से तैयार किया गया है। महल के अंदर हवा प्रकाश आने के लिए खिड़कियां लगाई गई है। महल का बाहरी दृश्य आकर्षक है।
धार का किला किसने बनवाया था - Who built Dhar Fort
धार का किला परमार राजा भोज के द्वारा बनवाया गया था। फिर इस किले में बहुत सारे शासकों ने राज्य किया और इस इस किले का पुनर्निर्माण करते गए। 13 वी शताब्दी में अलाउददीन खिलजी के समय इस किले का पुनर्निर्माण किया गया। यहां पर मराठा शासकों के द्वारा भी कुछ निर्माण और मरम्मत कार्य किए गए हैं।
धार किले का प्रवेश शुल्क - Dhar Fort Entry Fee
धार के किले में प्रवेश के लिए शुल्क लिया जाता है। यहां पर भारतीय एक व्यक्ति का 10 रुपए लिया जाता है। विदेशी एक व्यक्ति का 100 रुपए लिया जाता है। कैमरे से फोटो खींचने का भी चार्ज लिया जाता है। कैमरे का 100 रुपए और वीडियो कैमरे का 200 रुपए लिया जाता है।
धार किला की टाइमिंग - Dhar Fort Timings
धार किला सुबह 9 बजे से शाम के 5 बजे तक खुला रहता है। वैसे इस किले में यहां के लोकल लोग कभी भी आ सकते हैं, क्योंकि यहां पर ना तो चौकीदार था और ना किसी भी तरह की सिक्योरिटी है। मगर अगर कोई पर्यटक यहां घूमने के लिए आता है, तो वह 9 बजे से 5 बजे तक किले में घूम सकता है।
धार का किला कहां पर स्थित है - Where is Dhar Fort
धार का किला धार जिले का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यह किला मुख्य धार जिले में स्थित है। यह किला एक ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। यह किला घोडा चौपाटी चौरहा के पास में ही स्थित है। घोडा चौपाटी चौरहा से यह किला करीब 1 किलोमीटर दूर होगा। इस किले तक जाने के लिए पक्की सड़क उपलब्ध है। इस किले तक कार और बाइक से आसानी से जाया जा सकता है। स्कूटी में जाने से परेशानी हो सकती है। किले के अंदर पार्किंग की सुविधा उपलब्ध है। किले में निशुल्क पार्किंग की सुविधा उपलब्ध है।