महेश्वर का किला मध्य प्रदेश - Maheshwar Fort Madhya Pradesh

देवी अहिल्या किला (महेश्वर किला) महेश्वर मध्य प्रदेश - Ahilya Fort (Maheshwar fort) Maheshwar Madhya Pradesh
महेश्वर का किला महेश्वर नगर का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यह किला प्राचीन है। इस किले को महेश्वर का किला, होलकर किला या देवी अहिल्या बाई का किला के नाम से जाना जाता है। महेश्वर के किले में बहुत ही सुंदर बारीक नक्काशी की गई है, जो बहुत ही आकर्षक लगती है। यह किला महेश्वर में नर्मदा नदी के किनारे बना हुआ है। इस किले से नर्मदा नदी का सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है। यहां पर महेश्वर घाट बना हुआ है। घाट से थोड़ा ऊंचाई में यह किला बना हुआ है। यह किला बहुत ही जबरदस्त है। किले के अंदर शिव भगवान जी का मंदिर विराजमान है। यह मंदिर बहुत ही सुंदर है। 

हम लोग महेश्वर का घाट घूमने के बाद, महेश्वर का किला घूमने के लिए गए थे। यह किला बहुत ही जबरदस्त है और इस किले में बहुत सारी बॉलीवुड की फिल्मों को शूट किया गया है। यह पूरा किला बलुआ पत्थर से बना हुआ है और किले में बहुत ही सुंदर नक्काशी देखने के लिए मिलती है। किले की खिड़कियां, दीवारें, झरोखे बहुत ही जबरदस्त तरीके से बनाए गए हैं। किले की दीवारों में इंसानों, फूल, पत्तियों, हाथियों की बहुत ही सुंदर नक्काशी देखने के लिए मिलती है। यह किला घाट से थोड़ी ऊंचाई पर बना हुआ है और ऊंचाई पर चढ़ने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है, जो बहुत ही जबरदस्त दिखती है। 

हम लोग सीढ़ियां चढ़कर, महेश्वर किले के प्रवेश द्वार के पास पहुंचे। महेश्वर किले का, जो प्रवेश द्वार बना हुआ है। वह बहुत ही जबरदस्त बना हुआ है। प्रवेश द्वार के दोनों तरफ मूर्तियां बनाई गई हैं। यहां पर दोनों तरफ तीन मूर्तियां बनाई गई है। एक मूर्ति पहरेदार की लगती है, एक मूर्ति किसी नारी की लगती है और एक मूर्ति धनुष लिए एक व्यक्ति की बनाई गई है। अगर किले की दीवारों को देखा जाए, तो पूरी दीवार में मूर्तियां देखने के लिए मिलती हैं। इन मूर्तियों में बहुत सारी मूर्तियां संगीत यंत्रों का बजा रही है। किले के प्रवेश द्वार के ऊपरी सिरे पर श्री गणेश जी का मूर्ति देखने के लिए मिलती है और बहुत सारी मानव आकृतियां देखने के लिए मिलती हैं। 

हम लोग प्रवेश द्वार से महेश्वर किले के अंदर प्रवेश किए। यहां पर हम लोगों को मंदिर देखने के लिए मिला। यह मंदिर एक ऊंचे चबूतरे पर बना था। मंदिर की चबूतरे की दीवारों पर बहुत ही सुंदर हाथियों की प्रतिमा देखने के लिए मिल रही थी। हाथियों की प्रतिमा एक लाइन से बनाई गई थी और इसमें हर एक हाथी की प्रतिमा अलग-अलग थी और बहुत ही जबरदस्त लग रही थी। यह प्रतिमा चबूतरे के तीनों दीवारों पर बनी हुई थी। हम लोग किले के अंदर प्रवेश करके कुछ देर यहां पर बैठे रहे और इस मंदिर में हाथियों की मूर्ति को देखते रहे। कितनी अद्भुत तरीके से यह मूर्तियां बनाई गई है। हाथियों की मूर्ति के अलावा यहां पर फूल पत्तियों की भी बहुत बारीक नक्काशी देखने के लिए मिलती है। महेश्वर किले के अंदर दो मंदिर बने हुए हैं। यह दोनों मंदिर शिव भगवान जी को समर्पित है।

हम लोग किले में कुछ देर आराम करने के बाद, देवी अहिल्येश्वर मंदिर घूमने के लिए गए। महेश्वर किले के अंदर देवी अहिल्येश्वर मंदिर देखने के लिए मिलता है। यह मंदिर बहुत ही सुंदर है और यह मंदिर ऊंची जगह पर बना हुआ है और इस मंदिर में जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है। हम लोग सीढ़ियों से ऊपर गए। यह मंदिर बहुत ही सुंदर तरीके से बना हुआ है और इस मंदिर में गर्भ ग्रह और मंडप देखने के लिए मिलता है। मंदिर के गर्भ गृह में शिवलिंग विराजमान है और मंडप पर नंदी भगवान जी की प्रतिमा विराजमान है। मंदिर के अंदर आले बने हुए हैं, जिसमें गणेश भगवान जी, देवी पार्वती जी की प्रतिमा विराजमान है। यह प्रतिमाएं सफेद संगमरमर से बनी हुई है। यह मंदिर बहुत ही सुंदर कारीगरी करके बनाया गया है। मंदिर के, जो खंभे हैं। उनमें नक्काशी देखने के लिए मिलती है, जो बहुत ही सुंदर लगती है। 

अहिल्येश्वर मंदिर का शिखर भी बहुत सुंदर बना हुआ है। मंदिर के सीढ़ियों के बाजू में दीवारों में हाथियों की सुंदर प्रतिमाएं देखने के लिए मिलती हैं। सीढ़ियों के दोनों तरफ, दीवारों में हाथियों की अलग-अलग प्रतिमाएं बनी हुई हैं। यहां पर एक दीपस्तंभ देखने के लिए मिलता है। यह दीपस्तंभ मराठा शैली में बना हुआ है और बहुत ही सुंदर लगता है। त्योहारों में इस दीपस्तंभ को दीए जलाए जाते होंगे। यहां पर दीपस्तंभ के पास ही में श्री राम जी का मंदिर देखने के लिए मिलता है। श्री राम जी के मंदिर में राम जी, माता सीता जी और लक्ष्मण जी की प्रतिमा के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यहां पर काल भैरव जी के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यहां पर खिड़कियां बनी हुई है, जहां से नर्मदा नदी का सुंदर दृश्य को देखा जा सकता है और यहां से नीचे शिव मंदिर को भी देखा जा सकता है। हम लोग कुछ देर यहां पर खड़े होकर फोटो क्लिक करवाएं।

महेश्वर किले में शाम के समय रंग बिरंगी लाइट जलाई जाती है, जिससे इस किले की रौनक और भी ज्यादा बढ़ जाती है। अगर आप शाम के समय यहां पर समय बिताने आते हैं, तो आपको और मजा आएगा, क्योंकि नर्मदा नदी से आने वाली ठंडी हवा और किले का दृश्य बहुत ही जबरदस्त रहता है। किले में प्रवेश के लिए किसी भी तरह का एंट्री फीस नहीं ली जाती है। मगर आप यहां पर शूटिंग के लिए आते हैं, तो उसके लिए यहां पर चार्ज लिया जाता है। 

देवी अहिल्याबाई किले के अंदर खाने पीने के लिए बहुत सारे सामान मिलते हैं। यहां पर पापड़, तले हुए चने, नींबू पानी जैसी बहुत सारी चीजें मिल रही थी। यहां पर लॉकेट वगैरा भी मिल रहे थे। मगर मेरा यहां पर थोड़ा तबीयत खराब था। इसलिए हम लोगों ने खाने का यहां पर कुछ भी नहीं लिया और हम लोग महेश्वर का किला घूमने के बाद वापस आ गए और महेश्वर की यात्रा में आगे बढ़ गए। हमें महेश्वर की और भी जगह घूमना था और मांडू जाना था। इसलिए हम लोग महेश्वर में किला और घाट देखने के बाद, अपने सफ़र में आगे चल दिए। 

महेश्वर किले में प्रवेश के लिए शुल्क - Maheshwar Fort entry fee
महेश्वर किले में प्रवेश के लिए किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता है। यहां पर सभी के लिए निशुल्क प्रवेश है। यहां पर फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी का भी कोई चार्ज नहीं लिया जाता है। मगर आप यहां पर प्री वेडिंग फोटोशूट करवाते हैं, तो उसका चार्ज लिया जाता है और बड़ी फिल्में जो मुंबई वगैरा की फिल्में है। अगर वह यहां पर शूट होती हैं, तो उनका भी चार्ज लगता है और वह भी बहुत ज्यादा लगता है। 



महेश्वर किला का इतिहास - History of Maheshwar Fort
महेश्वर नगर का नाम प्राचीन समय में महिष्मति था। इस शहर का नाम महारानी देवी अहिल्या बाई के द्वारा परिवर्तित करके महेश्वर रखा गया। देवी अहिल्याबाई शिव भगवान जी की बहुत बड़ी भक्त थी। इसलिए उन्होंने शिव भगवान जी के नाम पर ही इस नगर के नाम को महेश्वर नाम दिया। महेश्वर का अर्थ होता है - भगवान शिव का निवास। इसलिए यहां पर बहुत सारे शिव मंदिर देखने के लिए मिलते हैं। महेश्वर नगर की स्थापना महारानी देवी अहिल्याबाई के द्वारा ही की गई थी। 

देवी अहिल्याबाई का विवाह 13 वर्ष की आयु में किया गया था। उनके पति का नाम कंडे राव होल्कर था। उनकी शादी एक शाही परिवार में की गई थी। 1754 ईस्वी में वह एक युद्ध में गए थे। जहां पर उनकी मृत्यु हो गई थी। प्राचीन समय में पति के साथ सती होने की प्रथा थी। 

अहिल्याबाई के ससुर ने उन्हें समझाया कि सती होना ठीक नहीं है और अगर वह सती हो जाएंगी, तो होलकर राजवंश की देखभाल करने वाला कोई नहीं रह जाएगा। देवी अहिल्या बाई ने अपने ससुर की आज्ञा का पालन किया और अपने बेटे को सिहासन पर बैठाया। माने राव होलकर 1766 में गद्दी में बैठे और कुछ सालों बाद ही उनकी मृत्यु हो गई, क्योंकि उन्हें एक खतरनाक बीमारी थी। इस तरह होलकर साम्राज्य में शासन करने वाला कोई नहीं रहा और फिर रानी अहिल्याबाई होल्कर ने पूरे शासन की बागडोर अपने हाथ में ली और इंदौर को छोड़कर महेश्वर को अपनी राजधानी बनाई और उन्होंने महेश्वर में ही सुंदर महल का निर्माण करवाया।



महेश्वर किला किसने बनवाया था - Who built Maheshwar Fort
महेश्वर का किला देवी अहिल्याबाई ने बनवाया था। महेश्वर का किला 17वीं शताब्दी में बनाया गया था। यह किला बहुत विशाल और खूबसूरत है। 



महेश्वर के किले का टाइमिंग - Maheshwar Fort Timings
महेश्वर के किले के खुलने का समय सूर्योदय से सूर्यास्त तक है। आप दिन में कभी भी आकर इस किले में घूम सकते हैं। इस किले के अंदर दो सुंदर मंदिर बने हुए हैं, जो देखे जा सकते हैं। 

महेश्वर का किला कहां स्थित है - Where is Maheshwar Fort situated?
महेश्वर नगर खरगोन का एक प्रसिद्ध नगर है। महेश्वर का किला खरगोन में महेश्वर नगर में स्थित है। महेश्वर का किला नर्मदा नदी के किनारे बना हुआ है। महेश्वर इंदौर से करीब 66 किलोमीटर दूर है। महेश्वर के किले तक पहुंचने के लिए सड़क बहुत ही अच्छी है। महेश्वर किले के पास पार्किंग की भी बहुत अच्छी जगह है। यहां पर कार, बाइक और जीप से पहुंचा जा सकता है। यहां पर निशुल्क पार्किंग उपलब्ध है। हम लोगों ने जहां गाड़ी खड़ी की थी। वहां पर किसी भी तरह का पार्किंग शुल्क नहीं लिया गया था। महेश्वर के किले में घूमने में करीब 2 से 3 घंटा आराम से लग जाता है। 
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