जहाज महल और हिंडोला महल मांडू - Jahaz Mahal and Hindola Mahal Mandu

मांडू का किला (शाही परिसर) :- जहाज महल, हिंडोला महल, जल महल मांडू, मांडू म्यूजियम, तावेली महल, चंपा बावड़ी, गदा शाह का महल (Jahaz Mahal, Hindola Mahal, Jal Mahal Mandu, Mandu Museum, Taveli Mahal, Champa Baori, Gada Shah's Palace)

मांडू शहर की सबसे सुंदर और सबसे प्रसिद्ध जगह है - मांडू का किला (शाही परिसर) । यह पर जहाज महल, हिंडोला महल और जल महल है। यह जगह मांडू शहर में स्थित सबसे सुंदर जगह है। यह बहुत बड़ा परिसर है, जहां पर जहाज महल, हिंडोला महल, जल महल तवेली महल, हिंदू बावड़ी, चंपा बावड़ी, और झील देखने के लिए मिलती है। इन इमारतों को बहुत सुंदर तरीके से बनाया हुआ है। इनकी वास्तुकला अद्भुत है और इनकी बनावट भी बहुत आश्चर्यजनक है। यह इमारतें बहुत बड़े एरिया में फैली हुई है। यहां पर घूमने में करीब 1 से 2 घंटा आराम से लग जाता है। अगर आप सभी जगह घूमते हैं। यह लोकेशन बहुत अच्छी है, जहां पर फोटोग्राफी बहुत अच्छी आती है। यहां पर बगीचा है, जिसमें तरह तरह के फूल खिले हुए हैं। यहां पर गधा शाह का महल देखने के लिए मिलता है। हम लोग अपनी मांडू यात्रा में इस जगह पर सबसे अंत में घूमने के लिए गए थे। इस जगह के बाहर बहुत बड़ा मार्केट लगता है, जहां पर तरह तरह का सामान मिलता है। 
हम लोग मांडू शहर में लोहानी गुफा और सनसेट पॉइंट घूमने के बाद, शाही परिसर या मांडू किला घूमने के लिए गए थे। यहां पर बहुत सारी जगह है, जो बहुत ही सुंदर है। शाही परिसर, लोहानी गुफा से करीब 1 किलोमीटर दूर होगा। यहां पर प्रवेश के लिए टिकट लगता है। यहां पर पार्किंग के लिए काफी बड़ी जगह है। शाही परिसर के बाहर मुख्य सड़क के दोनों ओर बहुत सारी दुकानें लगी थी, जहां पर खाने-पीने के बहुत सारे स्टॉल लगे हुए थे और यहां पर बहुत सारा सामान भी मिल रहा था। यहां सजावट का सामान, बच्चों के खिलौने और भी बहुत सारे वस्तुएं मिल रही थी। यहां पर खाने पीने के लिए भी बहुत फेमस आइटम मिल रहे थे - जैसे दाल बाफले, बाटी चूरमा, छोले भटूरे, यह सभी चीजें यहां पर मिल रही थी। शाही परिसर शाम के 5 बजे तक खुला रहता है और हम लोग के पास यहां पर करीब एक घंटा बचा हुआ था। इसलिए हम लोग पहले मांडू किले में घूमने के लिए गए। 
शाही परिसर या मांडू के किले के बाहर ही बहुत बड़ी जगह बनी हुई है, जहां पर गाड़ी पार्किंग के लिए जगह है। हम लोगों ने अपनी गाड़ी वहां पर खड़ी करी। उसके बाद हम लोगों ने टिकट लिया। यहां पर एक व्यक्ति का टिकट 25 रुपए है। हम लोग दो व्यक्ति थे। इसलिए हमारा 50 रुपए लगा। उसके बाद हम लोग शाही परिसर या मांडू किले में प्रवेश किये। सबसे पहले हम लोग को जहाज महल का सुंदर दृश्य देखने के लिए मिला, जो बहुत ही जबरदस्त था। इसकी वास्तुकला बहुत ही अद्भुत लगती है। एंट्री गेट के सीधे हाथ की तरफ तावेली महल बना हुआ था। 

तावेली महल जब हम लोग गए थे। तब बंद था। इसलिए हम महल के अंदर नहीं गए। यह महल भी बहुत सुंदर है और इस महल में तीन मंजिला है। इस महल के भूतल का उपयोग जानवरों को रखने के लिए प्रयोग किया जाता था। इसलिए इस महल को तवेली महल कहते हैं। इस महल की दो मंजिलों का निर्माण रक्षकों के रहने के लिए किया गया था। इस महल में वर्तमान समय में म्यूजियम भी बना हुआ है, जहां पर पुरानी मूर्तियों और वस्तुओं को रखा गया है। तवेली महल की छत से चारों ओर का सुंदर दृश्य दिखाई देता है। वर्तमान में इस इमारत की प्रथम तल को विभागीय विश्राम गृह एवं भूतल को एक संग्रहालय के रूप में उपयोग किया जा रहा है। हम लोग जब यहां पर घूमने के लिए गए थे। तब यह महल खुला नहीं था और हम लोगों को यहां पर जाने का मौका नहीं मिला। 
हम लोग तवेली महल के आगे बढ़े, तो हम लोगों को जहाज महल देखने के लिए मिला। जहाज महल में ऊपर जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई थी। जहाज महल मुंजा झील और कपूर झील के बीच में बना हुआ है। इन झीलों के कारण इस महल की खूबसूरती और भी ज्यादा बढ़ जाती है। इसको देखने से ऐसा लगता है, कि किसी सागर में विशाल जहाज खड़ा हो। इसलिए इसे जहाज महल कहा जाता है। जहाज महल के ऊपर हम लोग सीढ़ियों से गए। जहाज महल के ऊपर से दोनों झीलों का नजारा बहुत ही सुंदर दिखाई देता है और जहाज महल से जल महल भी देखने के लिए मिलता है। जहाज महल के सामने गार्डन बना हुआ है। यह गार्डन बहुत अच्छी तरह से मेंटेन किया गया है। बहुत सारे कर्मचारी यहां पर देखभाल करते हैं। इस गार्डन के अंदर भी जाया जा सकता है और फोटो वगैरा खिंचाई जा सकती है। यहां पर गार्डन में घास बिछाई गई है और यहां पर तरह तरह के फूल लगे हुए हैं। मगर यहां पर फूल पत्तियां तोड़ना मना है। 

मांडू का जहाज महल दोनों झीलों के बीच में एक सकरी जगह में बना हुआ है। जिससे इसका डिजाइन बिल्कुल जहाज के सामान लगता है। हम लोग जहाज महल के ऊपर सीढ़ियों से गए। यहां पर ऊपर बहुत सारी सुंदर छतरियां देखने के लिए मिलती है, जिनका ऊपरी सिरा गुंबद आकार है और यह बहुत सुंदर लगते हैं। छत के ऊपर एक कुंड देखने के लिए मिलता है। इस कुंड के पास में एक डिजाइन बनाया गया है, जिससे वर्षा जल कुंड में आकर गिरता है और कुंड से भी अगर ओवरफ्लो होता है, तो वह जाकर तालाब में गिरता है। जहाज महल का मुख्य प्रवेश द्वार संगमरमर से बना हुआ है। इसमें बहुत अच्छे संगमरमर का डिजाइन बनाया गया है। 
जहाज महल के अंदर एक सुंदर बड़ा सा कुंड बना हुआ है और इस कुंड का डिजाइन भी बहुत ही ज्यादा आकर्षक है। जहाज महल से कपूर तालाब का सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है। कपूर तालाब के किनारे साइड पानी में एक ऊंचा चबूतरा बना हुआ है। चबूतरे के चारों तरफ सीढ़ियां बनी हुई है और अब यह किस लिए बना है। इसके बारे में जानकारी नहीं है। मगर मेरे अनुसार तो ऐसा लगता है, कि प्राचीन समय में राजा लोग छत के ऊपर बैठकर यहां पर किसी नर्तकी का नृत्य देखते होंगे। मगर यह मेरे हिसाब से है। 

कपूर तालाब के किनारे बहुत ही सुंदर स्मारक बनी हुई है और यहां पर एक व्यूप्वाइंट भी बना हुआ है, जहां से कपूर तालाब का दृश्य देखा जा सकता है। यहां पर एक बावड़ी भी है, जिसमें सीढ़ियां बनी हुई है और नीचे उतरने की जगह बनी हुई है। यहां पर पेड़ पौधे लगे हुए हैं और यहां पर फोटो खींची जा सकती है। हम लोगों ने भी यहां पर फोटो खींचे थे, जो बहुत ही बढ़िया आई थी। ऐसा लग रहा था कि हम लोग फूलों के ऊपर है। यहां पर बैठने के लिए कुर्सियां भी रखी गई थी। जहां पर आप शांति से बैठ कर इस दृश्य को इंजॉय कर सकते हैं। 
हम लोग यह सभी चीजें देखकर आगे बढ़े, तो हम लोगों को, यहां पर बोर्ड देखने के लिए मिला, जिसमें यहां पर जितने भी महल है। उन सभी के बारे में जानकारी लिखी हुई थी और उनके डायरेक्शन दिए हुए थे। यहां पर एक प्राचीन हिंदू बावड़ी भी देखने के लिए मिलती है, जिसके पानी का उपयोग पीने के लिए किया जाता है। यहां पर पीने के लिए, पानी का एक पियाऊ भी लगाया गया है। यहां पर बाथरूम की सुविधा भी है और यहां पर बोर्ड लगाया गया है, ताकि लोगों को परेशानी ना हो। हम लोग सबसे पहले हिंडोला महल की तरफ गए। 

हिंडोला महल को बाहर से देखने में ही इसकी दीवारें झुकी हुई दिखाई देती है। इसलिए इस महल को हिंडोला महल कहते हैं। हम लोग हिंडोला महल के अंदर गए, तो हम लोगों को खुली हुई छत देखने के लिए मिली और एक सीधा गलियारा देखने के लिए मिला। इस गलियारे के अंदर डिजाइन भी बहुत सुंदर बनाया हुआ था, जो बहुत जबरदस्त लग रहा था। हिंडोला महल का आकार अंग्रेजी अक्षर टी के समान है। हिंडोला महल की दीवारें बहुत मोटी मोटी है और महल में प्रवेश करने के लिए दीवारों में छोटे-छोटे प्रवेश द्वार बने हुए हैं। प्रवेश द्वार के ऊपर की गई डिजाइन भी बहुत जबरदस्त लगती है। हिंडोला महल में आगे महल बना हुआ है। वह महल बहुत ही सुंदर लगता है। इस महल के ऊपरी सिरे में भी घुमा जा सकता है और यहां पर बालकनी का डिजाइन बहुत ही सुंदर देखने के लिए मिलता है। 
हम लोग हिंडोला महल घूमने के बाद, आगे बढ़े तो हम लोग को यहां पर शाही परिसर देखने के लिए मिला। यहां पर शाही परिसर में ही चंपा बावड़ी बनी हुई है। चंपा बावड़ी बहुत ही जबरदस्त है। यहां पर नीचे भूल भुलैया वाला रास्ता बना हुआ है। यहां पर आप नीचे अंडर ग्राउंड में जाते हैं, तो आपको अनेकों रास्ते मिलते हैं। आप रास्ते से आगे बढ़ते जाते हैं और आगे जाते, जाते आप बाहर आ जाते हैं। इस भूलभुलैया वाले रास्ते में चमगादड़ भी देखने के लिए मिलते हैं और उनकी पूप की बदबू भी आती है। यहां पर चंपा बावड़ी में जाने के लिए नीचे से भी मार्ग था। मगर वह सरकार के द्वारा बंद कर दिया गया है, लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर। यहां पर रास्तों से आगे जाते जाते, हम लोग शाही परिसर में ही आगे बाहर, किसी दूसरी ही जगह निकल गए। 

चंपा बावड़ी को चंपा बावड़ी इसलिए कहा जाता था, क्योंकि इस बावड़ी से चंपा की सुगंध आती थी। बावड़ी का डिजाइन भी बहुत सुंदर बना हुआ है। बावड़ी के अंदर जाने के, जो प्रवेश द्वार थे। वह बंद कर दिए है। बावड़ी को ऊपर से बस देख सकते हैं। प्राचीन समय में गर्मी के समय इस बावड़ी में, जो ऊपर कमरे बने हुए हैं। वहां पर जाकर राज परिवार के लोग रहा करते थे, क्योंकि गर्मी के समय इस बावड़ी का वातावरण ठंडा रहता था। बरसात के समय में बावड़ी में बहुत ऊपर तक पानी आ जाता है। मगर गर्मी के समय बावड़ी में पानी नीचे चली जाती है, तो इसका डिजाइन बहुत ही अच्छे से देखने के लिए मिल जाती है। इस बावड़ी में बहुत सारी मछलियां भी देखने के लिए मिलती है और यहां पर बहुत बड़ी-बड़ी मछलियां है। हम लोग चंपा बावड़ी देखने के बाद, शाही परिसर देखने के लिए गए। 
शाही परिसर पूरी तरह से खंडहर अवस्था में देखने के लिए मिलता है। यहां पर कुछ चीजें बहुत ही जबरदस्त है और उन्हें बहुत ही सुंदर तरीके से बनाया गया है। उस समय के हिसाब से वह चीजें बहुत ही लाजवाब हुआ करते थे। यहां पर हम लोगों को हमाम देखने के लिए मिला। हमाम का उपयोग प्राचीन समय में शाही परिवार के लोग किया करते थे। यह उनका स्नानागार था। हम लोगों को हमाम के छत पर गोल और सितारे का डिजाइन देखने के लिए मिला और यह डिजाइन बहुत ही सुंदर लगता था। इन डिजाइन से दिन के समय भी सुरज की रोशनी अंदर आया करती थी और सितारों के समान लगती थी। हमाम में प्राचीन समय के अनुसार बहुत सारी सुविधाएं उपलब्ध थी। यहां पर ठंडा और गर्म पानी करने के लिए अलग-अलग जगह बनाई गई थी। इत्र और गुलाब जल के लिए भी यहां पर जगह थी। यहां पर गुसलखाना बना हुआ था। शाही परिसर की छत के ऊपर भी जाया जा सकता है और घुमा जा सकता है। यहां से दृश्य बहुत ही शानदार देखने के लिए मिलता है। 
शाही परिसर में घूमने के बाद, हम लोग जल महल घूमने के लिए गए। जल महल मुंजा तालाब झील के बीच में बना हुआ है। इस महल में जाने के लिए एक रास्ता बना हुआ है। इस पतले से रास्ते से होते हुए हम लोग जल महल पहुंचे। जल महल के बाहर ही हम लोगों को एक कुंड देखने के लिए मिला। वैसे जल महल भी खंडहर अवस्था में देखने के लिए मिलता है। मगर यहां से चारों तरफ का दृश्य बहुत ही जबरदस्त दिखाई देता है। जल महल के अंदर जाकर बहुत सारे तालाब देखने के लिए मिलते हैं। यह तालाब मानव निर्मित है और तालाब के किनारे किनारे बहुत ही सुंदर डिजाइन भी बनाई गई है। जल महल के चारों तरफ झील का पानी भरा हुआ रहता है। यहां पर बरसात के समय, यह पानी ज्यादा रहता है और सुंदर लगता है। गर्मी में पानी सूख जाता है। जल महल के ऊपर जाते हैं, तो बहुत सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है। चारों तरफ भरा हुआ पानी देखने के लिए मिलता है। बरसात के समय यह जगह बहुत ही जबरदस्त लगती है। 

जल महल देखने के बाद, हम लोग वापस आ गए। यहां पर हम लोगों को और भी जगह देखना चाहिए था। मगर हम लोग वहां पर गए। यहां पर दिलावर खां की मस्जिद भी देखने के लिए मिलती है। यहां पर नहर झरोखा देखने के लिए मिलता है, जो बहुत सुंदर प्राचीन स्मारक है। नहर झरोखा हिंडोला महल के पीछे है और बहुत बड़े एरिया में फैला हुआ है। इसके अलावा यहां पर गदा शाह का महल देखने के लिए मिलता है। गदा शाह का महल भी खंडहर अवस्था में है। यह महल भी प्राचीन है। गदा शाह का महल 2 मंजिला है और गदा शाह के महल में जाने का रास्ता प्राचीन हिंदू बावड़ी के पास से है। यहां पर बोर्ड भी लगा हुआ है और महल की तरफ जाने के लिए डायरेक्शन भी दिया गया है। यह महल भी बहुत सुंदर है और महल के ऊपर कमरे बने हुए हैं। महल में खिड़कियां देखी जा सकती है और दरवाजों पर सुंदर डिजाइन देखे जा सकते हैं। 

गदा शाह का मतलब होता है - गरीबों का स्वामी। मालवा के इतिहास को देखते हुए यह उपनाम चंदेरी के बुंदेला राजपूत सरदार मेदिनी राय का है। मेदिनी राय सुल्तान महमूद 2nd का राज्य कर्मचारी था। जो कुछ समय के लिए राज्य का स्वामी बन गया था। गदा शाह का यह महल दो मंजिला भवन है, जिसकी निचली मंजिल में मेहराबदार द्वार तथा पीछे कक्ष बने हैं। ऊपर वाली मंजिल में एक बड़ा कमरा और पार्श्विक कमरे बने हैं। कमरे के दक्षिण पश्चिम कोने में दो सुंदर चित्र बने है। जो उनकी पत्नी और उनका हो सकता है। 

यह सभी जगह देखने के बाद, हम लोग मांडू का किला शाही परिसर से बाहर आए और बाहर यहां पर बहुत सारी दुकानें लगी थी, जहां पर हम लोगों ने चाय पी। यहां पर चाय, तो हम लोगों को बहुत अच्छी लगी। मगर जो यहां पर खाना, फास्ट फूड और खाने वाला जो भी आइटम थे। वह थोड़ा महंगे थे और इतने अच्छे भी नहीं बनाए गए थे। यहां पर हैंडीक्राफ्ट की भी दुकान थी, जहां पर अलग-अलग तरह के सुंदर-सुंदर आइटम मिल रहे थे। मगर वह भी थोड़े महंगे मिल सकते थे। मगर हैंडीक्राफ्ट के आइटम आपको पता है, किस तरह से बनाए जाते हैं। हम लोग यहां पर चाय और नाश्ता करके अपने इंदौर के सफर में आगे बढ़े। मांडू की, तो हम लोग ने सारी जगह घूम लिया। अब हमारे सफर में, जो भी जगह पड़ने वाली थी। वह घूमते हुए, हम लोग इंदौर की तरफ रवाना होने वाले थे। 

मांडू का किला शाही परिसर में प्रवेश के लिए शुल्क - Fee for entry to Mandu Fort (Royal Complex)
मांडू का किला शाही परिसर में प्रवेश के लिए शुल्क लिया जाता है। यहां पर भारतीय नागरिक के लिए, एक व्यक्ति के लिए 25 रूपए का शुल्क लिया जाता है। विदेशी नागरिक के लिए, एक व्यक्ति के लिए 100 रूपए का शुल्क लिया जाता है। 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चे यहां पर निशुल्क प्रवेश कर सकते हैं। वीडियो कैमरा का 25 रूपए शुल्क लिया जाता है। टिकट के पैसों का भुगतान ऑनलाइन भी किया जा सकता है और यहां पर कैश भी टिकट लिया जा सकता है। यहां पर महिला और पुरुष के लिए अलग-अलग लाइन है। क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड से भी पेमेंट किया जा सकता है। टिकट घर मेन गेट के सामने ही बना हुआ है। 



जहाज महल और हिंडोला महल किसने बनवाया था - Who built Jahaz Mahal and Hindola Mahal?
जहाज महल और हिंडोला महल सुल्तान गयासुद्दीन के द्वारा 1459 से 1500 ईसवी के बीच बनाया गया था। यह दोनों ही महल बहुत ही सुंदरता से बनाए गए हैं। हिंडोला महल का निर्माण सभा भवन के रूप में किया गया था। 



हिंडोला महल और जहाज महल कहां पर स्थित है - Where are Hindola Mahal and Jahaz Mahal ?
हिंडोला महल और जहाज महल मांडू शहर का एक सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। हिंडोला महल और जहाज महल मुख्य मांडू शहर में स्थित है और अगर आप धार जिले से मांडू शहर में घूमने के लिए आते हैं, तो यह महल सबसे पहले देखने के लिए मिलते हैं। यहां पर पार्किंग के लिए बहुत अच्छी जगह है। यहां पर कार और बाइक से पहुंचा जा सकता है और यहां पर निशुल्क पार्किंग सुविधा उपलब्ध है। यहां पर आने के लिए अच्छी सड़क है। यहां पर घूमने में करीब 2 से 3 घंटा आराम से लग सकता है। अगर आप यहां पर गाइड करना चाहते हैं, तो कर सकते हैं। आपको टिकट काउंटर में ही गाइड के बारे में पूछना होगा। 
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