रायसेन का किला मध्य प्रदेश का एक मुख्य किला है। यह किला मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित है। यह किला पहाड़ी पर स्थित है। आप रायसेन घूमने के लिए आते हैं, तो यह किला आपको दूर से ही हाईवे सड़क से देखने के लिए मिल जाता है। वैसे रायसेन शहर ज्यादा बड़ा नहीं है, छोटा ही शहर है। इस किले में हम लोग घूमने के लिए गए थे। यह किला हिंदू और मुस्लिम दोनों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस किले में आपको मंदिर भी देखने के लिए मिलता है और यहां पर दरगाह भी बनाई गई है, जो आप देख सकते हैं। रायसेन का किला ज्यादा अच्छी हालात में नहीं है। मगर आप यहां पर घूमने के लिए आ सकते हैं। यहां पर किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं है। आप यहां पर आते हैं, तो अपने साथ पानी पीने का जरूर लेकर आए। रायसेन किला पर आपको बहुत सारी जगह देखने के लिए मिल जाती है, जो बहुत सुंदर लगती हैं। इस किले की वास्तु शैली देखने लायक है। तो चलिए चलते हैं, मध्य प्रदेश के रायसेन किले में घूमने के लिएहमारी शुरुआत होती है, हम लोग भोपाल में ठहरे हुए थे और भोपाल से हम लोगों को जबलपुर आना था, तो हम लोगों ने भोपाल से रायसेन होते हुए जबलपुर आए। हम लोग सुबह जल्दी नहा धोकर तैयार होकर निकल गए और रायसेन जिले में दो या ढाई घंटे में पहुंच गए थे। यहां पर हमें दूर से ही रायसेन का किला देखने के लिए मिला। यहां पर हम लोगों को रायसेन की दरगाह भी देखने के लिए मिली, जहां पर बहुत ज्यादा भीड़ थी। भोपाल रायसेन मार्ग पर और भी बहुत सारी जगह है, जहां पर आप घूमने के लिए जा सकते हैं। मगर हम लोग के पास समय की कमी थी। इसलिए हम लोग वहां पर नहीं गए।
भोपाल रायसेन हाईवे सड़क पर महादेव झरना, इको टूरिज्म पॉइंट, चिड़िया टोला देखने के लिए मिलता है। यह सब प्राकृतिक जगह हैं, जो बहुत ही सुंदर है। मगर हम लोग यहां पर नहीं गए, समय की कमी के कारण। हम लोग रायसेन का किला घूमने के लिए गए। रायसेन का किला पहाड़ी पर बना हुआ है और यहां पर जाने का मार्ग पक्का है। रायसेन किले में जाने के लिए सड़क मार्ग और सीढ़ियां वाला मार्ग उपलब्ध है। आप यहां पर गाड़ी से भी किले के ऊपर तक जा सकते हैं। मगर हम लोगों को यहां पर समझ में नहीं आ रहा था, कि जाना कहां से है। हम लोग गूगल मैप से ही सर्च किया। मगर हम लोगों को समझ में नहीं आया। फिर हम लोकल लोगों से पूछते हुए, किले की तरफ बढ़े। यहां पर किले में जाने के लिए चढ़ाई वाला मार्ग देखने के लिए मिलता है। यह मार्ग पक्का है और मार्ग के दोनों तरफ आपको बड़ी बड़ी झाड़ियां देखने के लिए मिल जाती है। इन्हें देखकर वैसे डर लग रहा था। मगर यहां पर, यहां के लोकल लोग बकरियां लेकर घूमते रहते हैं।
हम लोग इस रास्ते से होते हुए, किले तक पहुंच गए। किले के पास ही आपको गाड़ी का स्टैंड देखने के लिए मिल जाता है, जहां पर गाड़ी खड़ी करनी पड़ती है, क्योंकि यहां से सीढ़ियों के द्वारा पैदल जाना पड़ता है। यहां पर स्टैंड में गाड़ी खड़ी करने का चार्ज लिया जाता है। यहां पर 20 रुपए लिया जाता है। हम लोग ने अपनी गाड़ी खड़ी किया और उसके बाद हम लोग किले की तरफ चढ़ाई करने लगे। यहां पर, जो सीढ़ियां हैं। वह पुराने समय की सीढ़ियां है। हम लोगों को यहां पर किले का प्रवेश द्वार भी देखने के लिए मिला, जो बहुत ही जबरदस्त दिख रहा था। प्रवेश द्वार के ऊपरी सिरे में बहुत सारे चमगादड़ का घर था। यहां पर प्रवेश द्वार के छोटे-छोटे रूम भी बने थे, जो शायद सैनिकों के रहने के लिए बनाया गया होगा। इन प्रवेश द्वार की छत में भी घूमने के लिए जाया जा सकता है और शहर का सुंदर नजारा देखा जा सकता है। यहां पर आपको खिड़कियां भी देखने के लिए मिलती हैं, जिनका डिजाइन बहुत अच्छा था। सीढ़ियों से जाते हुए आपको दो प्रवेश द्वार देखने के लिए मिल जाते हैं। यह सब देखते हुए हम लोग आगे बढ़े और धीरे-धीरे हम लोग किले में पहुंचने लगे हैं। यहां से हम लोगों को रायसेन शहर का सुंदर दृश्य भी दिखाई देने लगा।
मगर रायसेन किले तक पहुंचते-पहुंचते हम लोगों की हालत खराब हो गई थी। यहां पर अगर आप घूमने के लिए आते हैं, तो अपने साथ पानी जरूर लेकर आएं। क्योंकि यहां पर पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। रायसेन किले में अगर आप घूमने के लिए आते हैं, तो आप यहां पर बरसात के समय और ठंड के समय घूमने के लिए आ सकते हैं। गर्मी के समय आप आएंगे, तो आप की हालत बहुत ज्यादा खराब हो जाएगी। हम लोग जैसे तैसे करके किले में पहुंचे।
हम लोगों ने किले में प्रवेश किया, तो हम लोगों को सबसे पहले शिव मंदिर देखने के लिए मिला। इस मंदिर को सोमेश्वर मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर की सबसे पहले हम लोगों को सुंदर खिड़की देखने के लिए मिली, जिसमें खूबसूरत नक्काशी की गई थी। मंदिर का प्रवेश द्वार बहुत सुंदर था। यह मंदिर एक ऊंचे चबूतरे पर बना हुआ है और यह मंदिर प्राचीन है। मंदिर की छत सपाट थी। इस मंदिर को हिंदू राजाओं के द्वारा बनाया गया है। यह मंदिर चौकोर है और मंदिर के चारों तरफ दीवार है। यहां पर शंकर जी की स्थापना की गई है।
मंदिर देखने के बाद, हम लोग किले में आगे बढ़े। हम लोगों को यहां पर एक बड़ा सा जलकुंड देखने के लिए मिला। यह जलकुंड भी चौकोर आकार का था और यह जलकुंड ज्यादा गहरा नहीं था। इसमें पानी भरा हुआ था। शायद यह जलकुंड गर्मी में सूख जाता होगा। मगर जब हम लोग यहां गए थे। तब यहां पर पानी भरा हुआ था। इसका पानी बहुत गंदा था। जलकुंड में नीचे उतरने के लिए सीढ़ियां भी बनाई गई थी। जलकुंड देखने के बाद, हम लोग किले में आगे बढ़े। तब हम लोगों को यहां पर दरगाह देखने के लिए मिली। यह दरगाह पीरजादा शेख सलाहुद्दीन की दरगाह है।
1532 ईसवी में गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने रायसेन के किले पर आक्रमण कर दिया। तब स्थानीय राजा सिलहादी ने किले को विनाश से बचाने के लिए इस्लाम ग्रहण किया और अपना नाम परिवर्तित कर सलाहुद्दीन रखा राजा। राजा सिलहादी को सन 1528 में मांडू के किले में कैद कर लिया गया। तब उनके भाई लक्ष्मण सेन तथा सुल्तान बहादुर शाह के मध्य हुए अनुबंध के तहत राजा सिलहादी को आजाद कर दिया गया। किंतु उनके रायसेन वापस लौटने से पूर्व ही, ऐसा कहा जाता है, कि उनकी पत्नी दुर्गावती ने लगभग 700 अन्य महिलाओं के साथ जौहर किया। बाद में, यहां पर उन्हें पीर मान लिया गया और इस दरगाह का निर्माण किया गया।
हम लोग भी इस दरगाह में गए। यहां पर कब्र देखने के लिए मिलती है। यहां पर बहुत सारे मुस्लिम लोग आते हैं और प्रार्थना करते हैं। दरगाह के बाहर एक बहुत बड़ा आंगन बना हुआ है और यहां पर दो तोप देखने के लिए मिलती है। यहां पर आंगन में एक भूमिगत टंकी बनी हुई थी। इस टंकी में पानी भरा हुआ था। इस टंकी का पानी साफ था और इस टंकी में बहुत सारे सिक्के डाले हुए थे। लोग यहां पर दरगाह के दर्शन करने के लिए आते हैं, तो वह यहां पर पानी में सिक्के डालकर जाते हैं। इस टंकी में पानी बरादरी से पाइपों के द्वारा आता है। इस टंकी को देखकर आपको पता चलेगा, कि प्राचीन समय में लोग किस तरह पानी का संरक्षण पर विशेष ध्यान देते थे। यहां पर आंगन मे एक छोटा सा कक्ष भी देखने के लिए मिलता है, जिसमें जालीदार खिड़कियां लगी हुई थी। यह बहुत सुंदर लग रहा था। यह सभी चीजें देखने के लिए बाद, हम लोग बाहर आए।
बाहर हम लोग रायसेन किले को एक्सप्लोर करने के लिए आगे बढ़े, तो हम लोगों को यहां पर रानी महल देखने के लिए मिला, जो बहुत सुंदर है और देखने में बहुत ही जबरदस्त लगता है। यहां पर लाइन से बहुत सारे महल बने हुए हैं और इन महलों के बीच में कुंड बना हुआ है। यह कुंड चौकोर आकार का है। रानी महल भी बहुत सुंदर है। मगर यह जगह धीरे-धीरे खंडित होती जा रही है। इस जगह को संभाल के रखने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की है और कुछ सालों में यह जगह पूरी तरह मिट्टी में मिल जाएगी।
रानी महल घूमने के बाद, हम लोग बाहर आए। यहां पर बाहर शिव मंदिर के पास में ही एक कैंटीन भी बनी हुई है। कैंटीन में चाय, पानी, बिस्किट, नमकीन मिल जाता है। हम लोगों ने यहां पर चाय पी। यहां पर पहाड़ के नीचे साइड एक जलाशय भी देखने के लिए मिलता है, जिसमें बरसात का पानी एकत्र किया जाता है। आप रायसेन का किला घूमने के लिए आना चाहते हैं, तो बरसात सबसे अच्छा टाइम है, क्योंकि बरसात में यहां चारों तरफ हरियाली रहती है। आपको मजा भी आएगा और मौसम भी खुशनुमा रहता है। गर्मी में यहां पर बिल्कुल ना आए। किले में और भी बहुत सारी जगह है, जहां पर आप घूम सकते हैं। हम लोगों के पास समय की कमी थी। इसलिए हम लोग बहुत ही सीमित समय रायसेन के किले में घूम है। नहीं तो आप यहां पर आ कर पूरी जगह घूम सकते हैं और आप इस किले को अच्छी तरह से एक्सप्लोर कर सकते हैं। आपको यह जगह बहुत पसंद आएगी।
बरसात के समय यह पहाड़ पूरी तरह हरियाली से भर जाता है और चारों तरफ हरियाली देखने के लिए मिलती है और साथ में किले की सुंदर नक्काशी देखने के लिए मिलती है, जो अद्वितीय लगती है। किले में खिड़कियों और बालकनी का डिजाइन बहुत ही मस्त था। हम लोग यह सभी देखते हुए, वापस नीचे आए और अपनी आगे की यात्रा में बढ़ गए।
रायसेन का किला का इतिहास - Raisen fort history in hindi
रायसेन जिले का नाम प्राचीन समय में राजदासिनी और राज शयन अर्थात राजा का शाही निवास शब्द का अपभ्रंश है। वही जनश्रुतियों के अनुसार किले के प्रथम संस्थापक रायसिंह के नाम पर किले का नाम रायसेन का किला पड़ा।
यह स्थान आदि काल से ही मानव की निवासी स्थली रही है। इस पहाड़ी तथा आसपास के क्षेत्र में आदि मानव निर्मित चलचित्र देखने के लिए मिले हैं। शताब्दी ईसा पूर्व में रायसेन अवंतिका महाजनपद का एक भाग था। पुरातात्विक सर्वेक्षण एवं उत्खनन में यहां से पांचवी छठवीं शताब्दी के अवशेष प्राप्त होते हैं। परमार कालीन 10वीं 11वीं शताब्दी स्थापत्य खंडों के अवशेष किले की दीवारों आदि में यत्र तत्र बने हुए हैं। रायसेन किला का वर्तमान स्वरूप में स्थानीय राजपूत शासक द्वारा निर्मित किया गया है।
किले की स्मारक स्थिति तथा विदिशा से गुजरने वाले प्राचीन राजमार्ग होने के कारण इतिहास में इस किले का महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। तेरहवीं शताब्दी से यह किला लगातार दिल्ली के शासकों के आक्रमण का शिकार होता रहा। गुलाम वंश के शासक इल्तुतमिश ने रायसेन के किले में आक्रमण कर, 1234 में परमार शासकों से किले को छीन लिया था। सन 1293 ईसवी में दिल्ली के शासक अलाउद्दीन खिलजी का रायसेन के किले पर अधिकार हो गया था। इसके उपरांत तुगलक शासक महमूद बिन तुगलक ने रायसेन के किले पर अधिकार कर उसे सागर मे मिला दिया। 15 वी शताब्दी में जब मालवा उत्तर की राजधानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया था। तब यहां मांडू के सुल्तान का अधिपत्य था।
रायसेन के स्थानीय शासक राजपूत थे। इनके 9 शासकों की वंशावली में सलहादी नामक राजा सबसे अधिक लोकप्रिय था। किंतु सन 1528 में सलहादी राजा को मांडू के किले में कैद कर लिया गया। तब रायसेन के किले पर सिलहदी राजा का भाई लक्ष्मण सेन का अधिकार हो गया। सन 1532 ईसवी में गुजरात के शासक बहादुर शाह का रायसेन किले पर अधिकार हो गया।
सन 1543 में जब इसी वंशावली का राजा पूरणमल शासन कर रहा था। तब दिल्ली के शासक शेरशाह सूरी ने 4 माह तक किले की घेराबंदी करने के बाद, किले पर अधिकार कर पाने में सफलता प्राप्त की।
सम्राट अकबर के शासनकाल में सन 1575 में यह किला मुगल साम्राज्य का सूबा बन गया। मुगल शासक औरंगजेब ने किले के स्मारक महत्व को देखते हुए किले की दीवारों की मरम्मत करवाई। मुगलों के पतन के उपरांत 18वीं सदी में यह किला भोपाल रियासत के अधीन हो गया। जल्द ही आमिर पिंडारी और फिर सन 1816 ईस्वी में अंग्रेजों द्वारा अधिकार कर लिया गया।
इस किले के ऐतिहासिक महत्व और स्थापत्य को देखते हुए भारत सरकार ने सन 1951 में इस किले को राष्ट्रीय महत्व की स्मारक घोषित किया।
रायसेन किले की टाइमिंग - Raisen Fort Timings
रायसेन के किले में आप दिन के समय घूमने के लिए जा सकते हैं। यह किला सूर्योदय से सूर्यास्त तक खुला रहता है। यहां पर रात में जाने की मनाही है। वैसे यहां पर मुझे कोई खास सिक्योरिटी नहीं दिखी है, तो यहां पर लोग कभी भी किसी भी समय जा सकते हैं। मगर आप यहां घूमने के लिए जाते हैं, तो आप दिन के समय ही यहां पर जाएं। रायसेन किले में प्रवेश के लिए किसी भी तरह का शुल्क नहीं लिया जा सकता है। इस किले को आप फ्री में घूम सकते हैं।
रायसेन का किला किसने बनाया - Who built Raisen Fort
रायसेन का किला किसने बनाया इसके बारे में पुख्ता जानकारी नहीं है। लोगों के अनुसार इस किले के प्रथम संस्थापक रायसिंह के द्वारा यह किला बनाया गया। उसके बाद यहां पर परमार शासन रहा और परमार शासकों ने भी किले के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उसके बाद यहां पर बहुत सारे राजाओं ने शासन किया है।
रायसेन किला कहां स्थित है - Where is Raisen Fort located
रायसेन किला मध्य प्रदेश का एक महत्वपूर्ण किला है। यह किला मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में बना हुआ है। यह किला रायसेन जिले में एक ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। यह किला मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से करीब 50 किलोमीटर दूर है। आप यहां पर घूमने के लिए आ सकते हैं। किले तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क मिल जाती है। किले तक जाने के लिए आपको सीढ़ियां और सड़क मार्ग दोनों ही मिलता है। यहां पर पार्किंग की सुविधा उपलब्ध है। आप यहां कार और बाइक दोनों से आ सकते हैं। यहां पर पार्किंग शुल्क लिया जाता है।