साथ ही इस स्थान पर मानसरोवर झील एक बहुत ही खूबसूरत जगह है, जो कैलाश पर्वत से 20,000 अधिक फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
यह झील पवित्रता का प्रतीक है, जिसके बारे में वहां के लोगों का कहना है कि इस झील में नहाने से इंसान को अपने जीवन में किये गए सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
अगर आप भी सच में इस झील के दर्शन प्राप्त करना चाहते है तो आपको अपने जीवन में एक बार जरूर कैलाश मानसरोवर दर्शन के लिए तो अवश्य जाना चाहिए।
यहां पर कैलाश मानसरोवर कहां स्थित है, मानसरोवर यात्रा की जानकारी, कैलाश मानसरोवर की यात्रा कैसे करें, वहां घूमने की जगह आदि के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे।
इसलिए आज के इस लेख में कैलाश मानसरोवर की खूबसूरती के बारे में बताएंगे। आज मैं आपको बताने वाला हूँ की कैलाश मानसरोवर में ऐसा क्या है, जो आपको आकर्षित कर सकता है। इसलिए इस लेख को अंत तक पढ़े ताकि आपको कैलाश मानसरोवर से संबधित सभी जानकारी प्राप्त हो सके।
कैलाश मानसरोवर यात्रा के बारे में रोचक तथ्य
अगर आपने कैलाश मानसरोवर घूमने का प्लान बना ही लिया है तो सबसे पहले आपको कैलाश मानसरोवर के बारे में कुछ महत्वपर्णू रोचक तथ्य के बारे में भी जान लेना चाहिए ताकि आपकी कैलाश मानसरोवर घूमने की जिज्ञासा और भी ज्यादा बढ़ जाएं।
कैलाश मानसरोवर संस्कृत के दो शब्दो से मिलकर बना है मानस और सरोवर, जिसका अर्थ होता है मन और सरोवर।
कैलाश मानसरोवर पर्वत की ऊंचाई लगभग 22 हजार फीट हैं।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव कैलाश पर्वत पर निवास किया करते थे, इसीलिए कैलाश पर्वत को स्वर्ग के समान माना जाता है।
कहा जाता है कैलाश मानसरोवर को सबसे पहले भगवान ब्रह्मा के दिमाग में बनाया गया था, इसीलिए इस सरोवर का नाम मानसरोवर पड़ा।
कैलाश पर्वत का महत्व न केवल हिंदू धर्म है बल्कि जैन और बौद्ध धर्म में भी है। जैन धर्म में कैलाश पर्वत को अष्टपद कहा जाता है और इसी स्थान पर जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव ने जन्म और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति प्राप्त की थी।
तिब्बती बौद्धों के अनुसार कैलाश पर्वत पर बुध डेमचोक का भी निवास स्थान हुआ करता था।
कैलाश मानसरोवर की यात्रा नाथुला दर्रा भारत और तिब्बत के बीच एक बड़ा आवाजाही का गलियारा है। हालांकि 1962 में युद्ध के बाद इस गलियारा को बंद कर दिया गया था। लेकिन मोदी सरकार के प्रयासों के बाद दोबारा इस गलियारा को खोला गया।
कैलाश मानसरोवर की यात्रा का आयोजन भारत और चीन के विदेश मंत्रालय के द्वारा आयोजित की जाती है।
कैलाश मानसरोवर की यात्रा में भारत की सीमा का संचालन कुमाऊँ मंडल विकास निगम के द्वारा किया जाता है। वहीं तिब्बत क्षेत्र में चीन की पर्यटक एजेंसी के द्वारा इस यात्रा की व्यवस्था की जाती है।
कैलाश मानसरोवर की यात्रा में 75 किलोमीटर पैदल दुर्गा मार्ग से गुजरना पड़ता है।
ऐसी मान्यता है कि कैलाश पर्वत पर भगवान बुद्ध और मणिपज्ञा का निवास हैं।
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार कैलाश पर्वत पर भगवान शिवजी विराजते हैं।
ऐसी मान्यता है कि सबसे पहले मानसरोवर झील की खोज महाराजा मान्धाता ने की थी। उन्होंने इस झील के कीमारे बैठ के काफी वर्षो तक तपस्या की थी।
कैलाश मानसरोवर यात्रा में लोकप्रिय पर्यटक स्थल (Kailash Mansarovar Tourist Places in Hindi)
कैलाश मानसरोवर में वैसे तो बहुत सी घूमने की जगह है, जो आपको आकर्षित कर सकती है। लेकिन हम कुछ पर्यटन स्थल के बारे में बताएंगे, जो आपको काफी आकर्षित कर सकते है। साथ ही यहां दूर-दूर से लोग इस जगह पर यात्रा के लिए आते है।
गौरी कुंड
श्रद्धा और शक्ति से भरपूर गौरी कुंड में हर वर्ष कई श्रद्धालु मत्था टेकने गौरी माता के दरबार में आते हैं। यह मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है।
साथ ही आध्यात्मिक मंदिरों और दार्शनिक स्थलों के दर्शन करना हर श्रद्धालु की अपार श्रद्धा भक्ति को दर्शाता हैं।
यहां स्थित प्रमुख आकर्षण के केंद्रों में निर्मित यहां के प्रसिद्ध पावन मंदिर और आकर्षण का दूसरा पर्याय गौरी झील भी स्थित है। गौरी मंदिर और गौरी झील ये दोनों स्थान यहां के प्रसिद्ध स्थान हैं।
मानसरोवर झील
मानसरोवर झील लगभग 320 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई है। इसके उत्तर में कैलाश पर्वत तथा पश्चिम में रक्षातल झील है।
कहते हैं कि मानसरोवर वह झील है, जहां माता पार्वती स्नान करती थी और आज भी मान्यता है कि माता पार्वती वहां आज भी स्नान करती है।
साथ ही ऐसी भी मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति मानसरोवर में एक बार डुबकी लगा ले तो वह ‘रुद्रलोक’ पहुंच सकता है।
मानसरोवर दुनिया की शुद्ध पानी की उच्चतम झीलों में से एक है और जिसका आकार सूर्य के समान है, जिसे देखने दूर-दूर से पर्यटक यहां की यात्रा अवश्य करते हैं।
राक्षस तल
राक्षस ताल लगभग 225 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में करीब 84 किलोमीटर परिधि तथा 150 फुट गहरे में फैला हुआ है।
इस झील के तट राक्षसों के राजा रावण ने यहां पर शिव की आराधना की थी। इसलिए इसे राक्षस ताल या रावणहृद भी कहते है।
राक्षसताल के बारे में कहा जाता है इसमें स्नान करने से मना किया जाता है। क्योंकि ऐसी मान्यता है कि रावण ने इस कुंड में डुबकी लगाई थी और उसके मन पर बुरा असर हुआ था।
वहीं गौरीकुंड पार्वती के स्नान की निजी जगह है। इसलिए हमेशा इससे दूरी बना कर रखनी चाहिए। लेकिन इसके बावजूद भी यहां भक्तों की भीड़ कम नहीं होती है।
कैलाश परिक्रमा
कैलास की परिक्रमा 16,000 फीट की ऊंचाई से शुरू होकर 19,000 फीट तक जाती है। अगर इससे बढ़े तो सामने का नजारा अद्भुत दिखाई देता है।
सामने दो घाटियों के बीच में बर्फ की सफेद चादर से ढकी पर्वत-शृंखला देखने को मिलती है। साथ ही उसके पीछे नीला साफ आकाश दिखाई देता है, जो दिखने में आकर्षित करता है।
इसके पश्चिम तथा दक्षिण में मानसरोवर तथा राक्षसताल झील है। यहां से कई महत्वपूर्ण नदियां निकलती है। जैसे कि ब्रह्मपुत्र, सिन्धु, सतलुज इत्यादि निकलती हुई दिख जायेगी। यहां पर हिन्दू, जैन और बौद्ध धर्म के अनुयायी तीर्थ यात्रा के लिए दूर-दूर से आते हैं।
पशुपतिनाथ मंदिर
कैलाश मानसरोवर के पास बना पशुपतिनाथ मंदिर काठमांडू का सबसे पुराना हिन्दू मंदिर है। यह निश्चित रूप से ज्ञात नहीं है कि यह पशुपतिनाथ मंदिर कब बनाया गया था?
लेकिन नेपाल महात्मा और हिमवतखंड के अनुसार यहां के देवता ने पशुपति के रूप में बहुत प्रसिद्धि हासिल की थी।
बागमती नदी के तट पर एक खुले आंगन के बीच में, गांव उत्तर पश्चिम में काठमांडू से 4 किमी दूर है, जिसे देखने भारी संख्या में पर्यटक यहां आते है।
पशुपतिनाथ मंदिर में केवल हिन्दू ही प्रवेश कर सकते है। साथ इस मंदिर को सोने से बने होने की वजह से इसे स्वर्ण मंदिर भी कहा जाता है।
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ओम पर्वत
ओम पर्वत जादुई और प्रेरक हिमालय पर्वत शिखर है, जो दारचुला जिले में स्थित ओम पर्वत हिन्दू मंत्र 6190 मीटर की ऊंचाई तक बढ़ता है।
इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है जैसे आदि कैलाश, छोटा कैलाश इत्यादि। आदि कैलाश में भी कैलाश के समान ही पर्वत है। मानसरोवर झील की तर्ज में पार्वती सरोवर है।
आदि कैलाश के पास गौरीकुंड है। साथ ही कैलाश मानसरोवर की तरह ही आदि कैलाश की यात्रा भी अति दुर्गम यात्रा मानी जाती है।
आदि कैलाश यात्रा भी रोमांच और खूबसूरती से लबरेज है। इसमें भी 105 किलोमीटर की यात्रा पैदल करनी पड़ती है, जिसे यहां आने वाले भारी संख्या में भक्त बड़ी ही आसानी सें पूरा कर लेते हैं।
मुक्तिनाथ मंदिर
कैलाश यात्रा के दौरान आकर्षक दर्शनीय स्थल मुक्तिनाथ मंदिर है। यह मंदिर सुदूर घाटी में स्थित है, जिसके कारण ट्रैकर्स के बीच यह स्थान काफी ज्यादा प्रसिद्ध है।
इस मंदिर का निर्माण शिवालय शैली में किया गया है। मुक्तिनाथ मंदिर हिंदू एवं बौद्ध धर्म के लिए बहुत ही धार्मिक महत्व रखता है।
मुक्तिनाथ शब्द का अर्थ होता है “मुक्ति या मोक्ष के देवता”। कहते हैं इस मंदिर का दर्शन करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। यह मंदिर समुद्र तल से 3800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है लेकिन मंदिर में भगवान विष्णु के अतिरिक्त मां लक्ष्मी, जानकी, सरस्वती, गरुड़, लव कुश और सप्त ऋषियों की भी धातु से बनी मूर्तियां विराजमान है।
भगवान विष्णु की मूर्ति शीर्षस्थ है, जो सोने से बनी हुई है। भगवान विष्णु की प्रतिमा के दोनों ओर मां लक्ष्मी और देवी पृथ्वी की 2-2 मूर्तियां स्थापित की गई है। इस मंदिर में हिंदू और बौद्ध दोनों पुजारी पूजा करते हैं।
सप्तऋषि गुफाएं
सप्तऋषि गुफाएं लगभग 6000 मीटर की ऊँचाई पर स्थित हैं और कैलाश मानसरोवर यात्राके दौरान बहुत ही कठिन ट्रेक में से एक के रूप में भी मानी जाती है।
न केवल इसका आकार बेहद अनोखा है, बल्कि कैलाश के रहस्यों के साथ-साथ इससे जुड़ी आध्यात्मिकता भी इस चोटी को दुनिया की आबादी के एक बड़े हिस्से द्वारा प्रमुखता से मान्यता देने के लिए जिम्मेदार है।
हालांकि कैलाश मानसरोवर यात्रा के बीच में अच्छी संख्या में आध्यात्मिक केंद्र देखे गए है और इनमें से एक सप्तऋषि गुफाएं भी हैं। इन गुफाओं की दीवारें लाल रंग की होती है क्योंकि इसने तिब्बती परंपरा का पालन किया गया हैं।
यम द्वारी
कैलाश मानसरोवर की यात्रा में यम द्वारी एक महत्वपूर्ण स्थान है। क्योंकि कैलाश पर्वत की परिक्रमा का प्रारंभ इसी स्थान से होता है। यम जिसे मृत्यु का देवता कहा जाता है।
कहते हैं कि स्वयं भगवान यम भगवान शिव के निवास स्थान कैलाश की रखवाली करते हैं। कैलाश मानसरोवर की यात्रा को शुरू करते समय सभी यात्रियों को यम द्वार से गुजरना पड़ता है।
गेज किंगडम
कैलाश मानसरोवर की यात्रा के दौरान अगर आप किसी रोमांचित जगह का दर्शन करना चाहते हैं, जहां की प्राकृतिक सुंदरता आपको मंत्रमुग्ध कर दें तो आप गेज किंगडम जा सकते हैं।
यह जगह कैलाश पर्वत के पास में तिब्बत के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित है। यहां पर कुछ प्रसिद्ध मठ भी हैं, जिन्हें आप देख सकते हैं।
जल नारायण विष्णु मंदिर
कैलाश मानसरोवर की यात्रा में दौरान एक पवित्र स्थान जल नारायण विष्णु मंदिर है। इस मंदिर को बुधनीलकंठ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है।
मंदिर में भगवान विष्णु की सोते हुए अवस्था में प्रतिमा विराजमान है, जो 5 मीटर की चौड़ाई में फैली हुई है। इस मूर्ति का निर्माण बेसाल्ट पत्थर से किया गया है।
दामोदर कुंड
जब भी आप कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए आते है तो यात्रा के दौरान दामोदर कुंड जरूर जाएं क्योंकि यह काफी प्रमुख है।
इसे सबसे अधिक पूजा की जाने वाली झीलों में गिना जाता है, जो तीर्थयात्रियों द्वारा कैलाश पर्वत तक पहुंचने के लिए अपनी दिव्य सैर का हिस्सा होने के दौरान देखी जाती है।
कैलाश मानसरोवर यात्रा के बारे में
हिंदू धर्म में कैलाश मानसरोवर की यात्रा बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। इस यात्रा में श्रद्धालुओं दो काम करते हैं पहला वे कैलाश पर्वत की परिक्रमा करते हैं, दूसरा पापों से मुक्ति पाने के लिए मानसरोवर झील पर चढ़ते हैं।
कैलाश मानसरोवर के लिए हर साल निश्चित दिन तय किए जाते हैं। यह यात्रा तकरीबन 10 से 30 दिनों की होती है, जिसमें यात्री पैदल, ऐसी बस या हेलीकॉप्टर के जरिए यात्रा को पूरी कर सकते हैं।
कैलाश मानसरोवर की यात्रा का कुछ हिस्सा बहुत ही संवेदनशील क्षेत्रों से गुजरता है। इसके साथ ही दुर्गम पहाड़ के कारण यह यात्रा थोड़ी खतरनाक भी साबित हो सकती है।
यही कारण है कि इस यात्रा को शुरू करने से पहले केंद्र सरकार इस यात्रा को लेकर बेहद गंभीर हो जाती है और कई नियम बनाती है। साल 2023 में कैलाश मानसरोवर की यात्रा मई और सितंबर महीने के बीच शुरू होने वाली है।
कैलाश मानसरोवर की यात्रा की चयन प्रक्रिया
कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने के लिए लाखों श्रद्धालु की इच्छा होती है। लेकिन कुछ ही श्रद्धालुओं का चयन इस यात्रा में किया जाता है।
कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने के लिए श्रद्धालुओं को सबसे पहले इसके आधिकारिक वेबसाइट https://kmy.gov.in/kmy/ पर जाकर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना पड़ता है, जहां पर उन्हें अपना नाम, जन्म तारीख, पता, मोबाइल नंबर इत्यादि दर्ज करके सबमिट करना होता है।
श्रद्धालुओं के द्वारा ऑनलाइन पंजीकरण करने के बाद कुमाऊँ मंडल विकास निगम के द्वारा खुद से ही उनमें से निश्चित संख्या में श्रद्धालुओं का चयन कर लिया जाता है।
जिन भी श्रद्धालुओं का चयन होता है, उन्हें ईमेल या एसएमएस के माध्यम से इसकी जानकारी भेज दी जाती है। श्रद्धालुओं को यात्रा पर जाने से पहले कुछ फीस जमा करके यात्रा कंफर्म करनी पड़ती है।
हालांकि कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए इतने ही स्टेप काफी नहीं है। आवेदकों का चयन होने के बाद उनका आगे मेडिकल टेस्ट भी होता है, जिसके लिए उन्हें दिल्ली लाया जाता है।
वहां पर जरूरी मेडिकल जांच करने के बाद तय किया जाता है कि यात्री कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए पूरी तरह फिट है या नहीं।
मेडिकल जांच यात्रियों का केवल दिल्ली तक ही सीमित नहीं रहता है। आगे यात्रा के दौरान भी लिपुलेख और नाथुला दर्रा के पास मेडिकल परीक्षण किया जाता है।
अगर यात्री फिट नहीं पाया गया तो वहां से आगे उन्हें नहीं बढ़ने दिया जाता है। इस तरह कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने की पूरी प्रक्रिया होती है।
कैलाश मानसरोवर यात्रा में खाने के लिए क्या-क्या फेमस है?
कैलाश मानसरोवर जितना सुंदर है, उतना ही स्वादिष्ट यहां का खाना भी है। कैलाश मानसरोवर एक पवित्र स्थान है, जहां प्रभु का वाश होता है। इसलिए आगर आप यहां आते हैं तो यहां शुद्ध और शाकाहारी ही भोजन खाने को मिलेगा।
साथ ही अगर आप मीठे के शौकीन है तो आपको यहां पर खीर, हलवा खाने को मिल जायेगा, जो यहां की फेमस स्वीट में सें एक होती है।
अगर आप कभी कैलाश मानसरोवर घूमने आए तो एक बार यहां आकर इन व्यंजनों का स्वाद जरूर लेना। यहां पर आपको चावल, पुरी, दाल, रोटी, खीर, हलवा इत्यादि खाने को मिलता है।
कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान रुकने की जगह
अगर कैलाश मानसरोवर में रुकने की बात की जाएं तो यहां पर सस्ते दामों पर होटल, गेस्ट हाउस और रेंट में कमरे आसानी से मिल जाते है, जहां पर आप आसानी से ठहर सकते हैं।
हमने कुछ होटल के नाम आपके लिए ढूंढ कर निकले है, जो कैलाश मानसरोवर के पास काफी फेमस हैं। जैसे कि होटल सेंट्रल प्लाजा, होटल मैक्स, सिद्धार्थ होटल इत्यादि शामिल है।
कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय (Best Time to Visit Kailash Mansarovar)
कैलाश मानसरोवर में घूमने का सबसे अच्छा समय मई से जून और सितंबर से लेकर अक्टूबर के बीच का है। क्योंकि इस मौसम में यहां का अद्धभुत नजारे आपको आकर्षित कर सकते हैं।
कैलाश मानसरोवर कैसे पहुंचे?
कैलाश मानसरोवर तक हवाई, रेल और सड़क मार्ग तक पंहुचा जा सकता है यहां पर इसके बारे में विस्तार से बता रहे हैं:
रेल द्वारा कैलाश मानसरोवर यात्रा
अगर आप रेल द्वारा कैलाश मानसरोवर घूमने का प्लान बना रहे है तो दिल्ली से कैलाश मानसरोवर ट्रेन की सहायता से 10 घंटों में पहुंचा जा सकता है। कैलाश मानसरोवर का सबसे करीबी रेलवे स्टेशन लौकहा बाजार है।
सडक द्वारा कैलाश मानसरोवर यात्रा
कैलाश मानसरोवर आने के लिए आप अपनी गाड़ी या फिर कोई गाड़ी बुक करके आसानी से सड़क द्वारा यात्रा करके कैलाश मानसरोवर आसानी से पहुंच सकते हैं। यहां पहुंचने के बाद कैलाश पर्वत पर आपको खुद से चढाई करनी होगी।
हवाई मार्ग द्वारा कैलाश मानसरोवर यात्रा
अगर आप कैलाश मानसरोवर का सफर हवाई जहाज से करना चाहते है तो बागडोगरा हवाईअड्डा कैलाश मानसरोवर का सबसे नजदीकी हवाईअड्डा है।
यहां पर दिल्ली से कुछ फ्लाइट्स जाती है। कैलाश मानसरोवर बागडोगरा हवाईअड्डा से 202 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं।
केलाश मानसरोवर की यात्रा के दौरान इन बातों का ध्यान रखें
अगर आप शराब या धूम्रपान का सेवन करते हैं तो कैलाश मानसरोवर की यात्रा से कुछ दिन पहले ही इस लत को छोड़ने का प्रयास करें।
क्योंकि कैलाश मानसरोवर की यात्रा काफी लंबी होती है और धूम्रपान करने से आपका शरीर कमजोर होता है। इससे यात्रा करने में परेशानी हो सकती है।
कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर अगर आप जाने की योजना बना रहे हैं तो 75 किलोमीटर पैदल मार्ग पर चलने के लिए आपको तैयार रहना होगा।
कैलाश मानसरोवर की यात्रा में धीरे-धीरे ऊंचाई बढ़ने के साथ ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है, जिससे सिर दर्द, सांस लेने में तकलीफ जैसी परेशानियां शुरू हो जाती है। ऐसे में अपने पास ऑक्सीजन सिलेंडर का साथ होना जरूरी है।
कैलाश मानसरोवर की यात्रा में कई दुर्गम पहाड़ आते हैं, जिन पर चढ़ाई करना बहुत ही मुश्किल होता है। इसीलिए कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए यात्रियों का शारीरिक रूप से स्वस्थ रहना बहुत ही जरूरी है, जिसके लिए वे यात्रा पर जाने से पहले ही अपने खानपान में सुधार कर सकते हैं।
कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान कैसे घूमे?
कैलाश मानसरोवर घूमने के लिए एक बेहतरीन स्थान प्रदान करता है। यह एक धार्मिक स्थल है, जो हिमालय के केंद्र में स्थित है।
कैलाश मानसरोवर और कैलाश पर्वत धरती का केंद्र माना जाता है और इसे भगवान शिव का धाम भी कहा जाता है। क्योंकि मानसरोवर के पास कैलाश पर्वत पर साक्षात भगवान शिव जी विराजमान हैं।
इसीलिए यहां घूमने और यात्रा करने के लिए भारी संख्या में लोग दूर-दूर से आते है। अगर आप भी यहां की यात्रा करने के बारे में सोच रहे है तो आप जिस होटल या गेस्ट हाउस में ठहरे है।
आप वहां से किराये पर कार को बुक करके घूमने जा सकते है और अमरनाथ की सुंदरता के दर्शन कर सकते है।
इसके अलावा अगर आप भारत देश के बाहर से यहां घूमने के लिए आते है तो आप चाहो तो टूरिस्ट गाइड को भी बुक कर सकते हैं, जो आपको कैलाश मानसरोवर की सुंदरता के दर्शन करवाने में आपकी मदद कर सकते हैं।
कैलाश मानसरोवर यात्रा करते समय घूमने का खर्चा
खर्च की बात की जाएं तो यह आपके ऊपर निर्धारित करता है कि आप किस से जाना पसंद करेंगे और वहां जाकर आप कहां-कहां घूमना पसंद करेंगे।
आप किस होटल, गेस्ट हाउस में रुकना पसंद करेंगे। साथ ही आप कैलाश मानसरोवर में कितने दिन रुकेंगे, यह सब आपके बजट पर निर्भर करता है।
कैलाश मानसरोवर यात्रा के वक्त अपने साथ क्या रखें?
अगर आप कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए प्लान बना रहे है तो आपको अपने साथ जिस से सफर कर रहे है। उसकी टिकट, अपनी आईडी प्रूफ, मोबाइल फोन, मौसम के अनुसार कपडे इत्यादि लेकर जाना चाहिए।
FAQ
मानसरोवर झील में नहाने से पापों से मुक्ति है?
हां, मानसरोवर झील में नहाने से पापों से मुक्ति है।
क्या मानसरोवर झील के पिघलने पर मृदंग की आवाज आती है?
गर्मी के दिनों में जब मानसरोवर झील की बर्फ़ पिघलती है तो मानसरोवर झील के पिघलने पर मृदंग की आवाज आती है।
क्या कैलाश पर्वत अपनी स्थिति बदलता रहता है?
जी हां, कैलाश पर्वत अपनी स्थिति बदलता रहता है।
क्या कैलाश पर्वत से ॐ की ध्वनि देती है?
जोर से ॐ का उच्चारण करने पर कैलाश पर्वत से ॐ की ध्वनि देती है।
कैलाश पर्वत पर किन चार महान नदियों का उद्गम स्थल है?
कैलाश पर्वत पर चार महान नदियों सिंध, ब्रह्मपुत्र, सतलज और कर्णाली या घाघरा का उद्गम स्थल है।
निष्कर्ष
इस महत्वपूर्ण लेख में कैलाश मानसरोवर यात्रा में घूमने की जगह से संबंधित विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान की है।
हमें उम्मीद है कि हमारे द्वारा दी गई आज की यह महत्वपूर्ण जानकारी इस विषय पर आप लोगों के लिए काफी हेल्पफुल साबित हुई होगी। इससे जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर बताएं।