महाबलेश्वर में घूमने की जगह, हिल स्टेशन और महाबलेश्वर कैसे जाए?

यदि आप घूमने के शौकीन हैं, तो आपको महाराष्ट्र के प्रमुख हिल स्टेशन महाबलेश्वर में जरूर जाना चाहिए। यह महाराष्ट्र में घूमने की प्रमुख जगह में से एक है।
यहां पर लोग गर्मियों की छुट्टियों को मनाने के लिए जाते हैं। जब भारत में अधिक गर्मी पड़ती है, तो सबसे अधिक लोग इस जगह पर जाना पसंद करते हैं।

महाबलेश्वर को पांच नदियों की भूमि भी कहा जाता है। इसके अलावा इसको गॉड ऑफ ग्रेट पावर यानि कि भगवान की महान शक्ति कहा जाता है। महाबलेश्वर में घूमने के लिए कई सारी जगह हैं, जहां पर आप घूमने के लिए जा सकते हैं।

यदि आप महाबलेश्वर ट्रिप पर जा रहे हैं तो यह लेख आपके लिए महत्वपूर्ण है। इस लेख में महाबलेश्वर में घूमने की जगह (Mahabaleshwar Tourist Places in Hindi), महाबलेश्वर कैसे जाए, महाबलेश्वर कहां है आदि के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे।

महाबलेश्वर के बारे में रोचक तथ्य
महाबलेश्वर का नाम संस्कृत के शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है ईश्वर की महान शक्ति। महाबलेश्वर को पहले मैलकम पेठ के नाम से जाना जाता था।
महाबलेश्वर पुणे शहर से 123 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
ब्रिटिश काल के समय महाबलेश्वर मुंबई प्रेसिडेंसी की ग्रीष्मकालीन राजधानी थी।
महाबलेश्वर को सबसे पहले राजा सिंघन ने खोजा था, जिन्होंने यहां पर महाबलेश्वर मंदिर का निर्माण किया था।
महाबलेश्वर में मौजूद प्रतापगढ़ किले का निर्माण 17वीं शताब्दी में शिवाजी महाराज के द्वारा किया गया था।
महाबलेश्वर में मानव निर्मित झील है, जिसका नाम वैना झील है। जिसका निर्माण छत्रपति श्री अप्पासाहेब महाराज के द्वारा 1942 में किया गया था।
महाबलेश्वर में महाबलेश्वर मंदिर के अतिरिक्त अन्य कई प्राचीन मंदिर है, जिनमें से पंचगंगा मंदिर 40 साल पुराना है।
वर्ष के प्रत्येक महीने में यहां पर हल्की-हल्की बारिश होती रहती हैं।


महाबलेश्वर में लोकप्रिय पर्यटक स्थल | Mahabaleshwar Tourist Places in Hindi
धोबी झरना
यह महाबलेश्वर का प्रसिद्ध झरने में से एक है, जो कि पश्चिमी घाटों से मैदानों की तरफ आता है। झरने से गिरने वाला पानी सीधे कोयना नदी में जाता है।

इस झरने की महाबलेश्वर से दूरी करीब 3 किमी की है। झरने को देखने के लिए पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है।


आर्थर की सीट
इस जगह को रानी की सीट के नाम से भी जाना जाता है, जो कि समुद्र तल की ऊंचाई से लगभग 1470 किमी ऊंची है।
आर्थर के बारे में कहा जाता है, यह अपनी पत्नी और एक महीने की बेटी को लेकर सावित्री नदी में यात्रा कर रह थे। किसी कारण से नौका दुर्घटना ग्रस्त हो जाती है, जिसमें उनकी पत्नी और एक माह की बेटी की मौत हो जाती है।

इसके बाद आर्थर इस जगह पर उनके लौट आने की कामना करते है। इनके बिंदु के ठीक बाई ओर सावित्री घाटी और दाई ओर ब्रह्म अर्याना घाटी है। आर्थर की सीट को देखने आने वाले पर्यटकों का सबसे अच्छा ट्रेकिंग स्पॉट में से एक है।

शिव शंकर मंदिर
शिव का यह मंदिर महाबलेश्वर के नाम से जाना जाता है। मंदिर की वास्तुकला और इसकी भव्यता को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते है।

यह मंदिर शहर के बाहरी इलाके में स्थित है। शिव जी का यह मंदिर प्राचीन मंदिरों में से एक है, जो कि गोकर्ण का 4वीं शताब्दी का मंदिर है।

इस मंदिर को बनाने के लिए द्रविड़ स्थापत्य शैली का उपयोग किया गया है। मंदिर अरब सागर के तट से जुड़ा हुआ है। इसलिए मंदिर में आने वाले भक्त सबसे पहले मंदिर की सफाई करते हैं, तब जाकर मंदिर में दर्शन करने के लिए जाते हैं।

महाबलेश्वर मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ होती है। शिव जी के भक्त वर्ष भर दर्शन करने के लिए आते रहते हैं। यदि आप महाबलेश्वर मंदिर में दर्शन करने के लिए जाना चाहते है तो आप रात में 8 बजे के बाद जा सकते हैं।

क्योंकि रात में अधिक भीड़ भाड़ नहीं रहती है। वहीं यदि आप सुबह महाकाल के दर्शन कर लेंगे और दर्शन हो जायेंगे

प्रताप सिंह पार्क
अगर आप महाबलेश्वर की यात्रा के दौरान एक शांत जगह में सुकून के कुछ पल बिताना चाहते हैं तो महाबलेश्वर से कुछ ही दूरी पर स्थित प्रताप सिंह पार्क आपके लिए पसंदीदा डेस्टिनेशन साबित हो सकता है।

यह पार्क विभिन्न प्रकार के और रंग-बिरंगे फूल पौधों से भरा हुआ है। प्रकृति प्रेमियों के लिए यह एक आदर्श स्थान है। यहां पर खूबसूरत प्रकृति को निहारने के साथ इस पार्क के पास मौजूद झील में नाव की सवारी का भी लुफ्त उठा सकते हैं।

राजपुरी गुफाएं
महाबलेश्वर में स्थित राजपुरी गुफाएं महाबलेश्वर के मुख्य आकर्षणों में से एक है। यहां मौजूद गुफाओं के साथ महाभारत का संबंध जोड़ा जाता है।

कहा जाता है कि पांडव अपने वनवास के दौरान यहीं पर शरण लिए थे। इन गुफाओं के आसपास कई सारे पवित्र कुंड है। कहा जाता है कि इन पवित्र कुंड में गंगा नदी का पानी है इसीलिए इन कुंड में लोग स्नान भी करते हैं।

गुफा के भीतर कई सारे मंदिर भी हैं, जिसमें मुख्य आकर्षण भगवान कार्तिकेय का मंदिर है, जो रेत से बना हुआ है।

चाइनामैन वाटरफॉल
इस वाटर फाल की दूरी महाबलेश्वर बस स्टैंड से करीब 3 किमी की है। यह झरना कोयना घाटी के पास में स्थित है। चाइनामैन वाटरफॉल महाबलेश्वर का सबसे प्रसिद्ध झरने में से एक है।

महाबलेश्वर में घूमने के यह सबसे अच्छी जगह में से एक है। इस झरने की सबसे खास बात यह 500 फीट की ऊंचाई से गिरता है और दो अलग अलग बिंदु में विभाजित हो जाता है।

लिंगमाला झरना
यह झरना पुणे और महाबलेश्वर के बीच में पड़ता है। लिंगमला झरना अपने शांत वातावरण के लिए जाना जाता है। यह झरना अन्य झरने की तुलना में सबसे अधिक लुभावना झरना है, जो कि 600 फीट की ऊंचाई से गिरता है।


इस झरने की सबसे खास बात यह हैं कि यह लिंग माला जलप्रपात और चाइनामैन जल प्रपात से मिलकर एक नया दृश्य प्रस्तुरु होता है, जो लोग फोटोग्राफी के शौकीन है। उनके लिए यह जगह बहुत ही शानदार जगह में से एक है।

पंचगंगा मंदिर
महाबलेश्वर में स्थित पंचगंगा मंदिर एक प्राचीन धार्मिक मंदिर है। यह मंदिर कृष्णा, कोयना, वीना, गायत्री और सावित्री नदियों के संगम पर बना हुआ है। इसीलिए यह मंदिर आध्यात्मिक महत्व रखता है।

इस मंदिर की वास्तुकला बहुत ही आकर्षक है। इसके साथ ही पत्थरों पर की गई नक्काशी भी बहुत खूबसूरत है। इस मंदिर का निर्माण सॉल्वी शताब्दी में यादव वंश के शासक राजा चंदा राव मोरे के द्वारा किया गया था।

बाद में 16वीं शताब्दी में राजा चंदा राव मोरे और 17 वीं शताब्दी में छत्रपति शिवाजी महाराज ने इस मंदिर में सुधार किए थे।

टेबल लैंड
टेबल लैंड महाबलेश्वर में स्थित एक खूबसूरत हिल स्टेशन है। समुद्र तल से 45 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह एक ज्वालामुखी पर्वतीय पठार है।

यह पठार चारों तरफ से जंगली पेड़ पौधों से भरा हुआ है। जिन्हें प्रकृति की जंगली सुंदरता अपने कैमरे में कैप्चर करना है, उन लोगों के लिए यह जगह पसंदीदा जगहों में से एक है।

इस पठार को तिब्बत के बाद एशिया का दूसरा सबसे ऊंचा पठार माना जाता है। यहां पर ऊपर कई सारी प्राकृतिक गुफाएं बनी हुई हैं।

इस पठार के उच्चतम बिंदु से सूर्योदय और सूर्यास्त के समय एक खूबसूरत दृश्य देखने का मौका मिलता है।


कनॉट पीक
इस पीक को पहले माउंट ओलंपिया के नाम से जान जाता था। इसके बाद इसका नाम बदल कर ड्यूक ऑफ कनॉट कर दिया गया था। यह महाबलेश्वर की दूसरी सबसे ऊंची चोटी में से एक है। इस चोटी की समुद्र तल से दूरी लगभग 1400 मीटर की दूरी पर है।

इस चोटी से आप प्रतापगढ़ किला, वेन्ना झील, कृष्णा घाटी आदि कई प्रकार के नजारे यहां से देख सकते हैं। इस जगह पर सर्वाधिक ट्रेकर्स आते हैं, जो कि सूर्योदय और सूर्यास्त के समय चोटी पर चढ़ते हैं।

कोयना घाटी
यह नदी महाराष्ट्र के सतारा जिले से निकलती है। कोयना नदी कृष्ण नदी की सहायक नदी है। राज्य की सभी नदियां पूर्व से पश्चिम के तरफ बहती है, लेकिन सिर्फ कोयना नदी उत्तर से दक्षिण की तरफ बहती है।

नदी पर बांध बना हुआ है, जिससे विद्युत उत्पादन किया जाता है।

मोरारजी कैसल
यदि आप महाबलेश्वर किसी रोमांचकारी जगह पर जाना चाहते हैं तो आप इस जगह पर जरूर जाएं। ब्रिटिश काल में बॉम्बे की ग्रीम काल की राजधानी बना लिया था।

यह महल महाबलेश्वर के शहर में ही स्थित है। इस महल को बनाने में ब्रिटिश शैली का उपयोग किया गया है। लेकिन इसमें आपको ब्रिटिश काल की सभी वास्तुकला देखने को मिलेगी।

टाउन बाजार
अगर आप महाबलेश्वर जा रहे है तो निश्चित ही आप वहां कुछ ना कुछ शॉपिंग जरूर करेंगे। यदि आप महाबलेश्वर की यात्रा के लिए स्मृति चिन्ह के रूप में कुछ खरीदना चाहते है तो महाबलेश्वर में स्थित टाउन बाजार महाबलेश्वर का एक लोकप्रिय बाजार है, जो दिन भर लोगों के चहल-पहल से भरा रहता है।

इस बाजार में कतारों में बहुत छोटी बड़ी दुकानें लगी हुई है, जहां पर रंग-बिरंगे परिधान, चमड़े के सामान, हस्तशिल्प, ज्वेलरी, कॉस्टयूम, ताजा स्ट्रॉबेरी, मुरब्बा जैसे कई चीजें मिलती है।

एलिफेंट हेड पॉइंट
महाबलेश्वर में मौजूद अनेको हिल स्टेशन में से सबसे ज्यादा देखे जाने वाला और प्रसिद्ध आकर्षणों में से एक एलीफेंट हेड पॉइंट है।

इस जगह की खासियत यही है कि यहां पर दो चट्टानें जो पूरी तरह पेड़-पौधों से भरे हुए हैं, बिल्कुल हाथी की सूंड के समान दिखने में लगते हैं। इस जगह का नाम ब्रिटिश राज के दौरान पड़ा था।

बबिंगटन पॉइंट
महाबलेश्वर में ट्रैकर्स और प्रकृति प्रेमियों के बीच सबसे ज्यादा पसंदीदा पर्यटन स्थल बबिंगटनबिंदु है। यह पॉइंट्स समुद्र तल से 1200 मीटर की ऊंचाई पर है।

इस जगह की खासियत यही है कि यहां से आसपास का एक खूबसूरत और शानदार दृश्य देखने को मिलता है। इस बिंदु से आप सोली और कोयना घाटी को देख पाएंगे।

रोमांचित गतिविधियों के शौकीन लोग यहां के पगडंडी के शानदार नजारों का आनंद लेते हुए यहां पर ट्रैकिंग कर सकते हैं।

मैप्रो गार्डन
महाबलेश्वर में 11 किलोमीटर की दूरी पर पंचगनी मार्ग पर स्थित मैप्रो गार्डन पर्यटकों के बीच एक लोकप्रिय डेस्टिनेशन है। यह जगह स्ट्रौबरी की खेती के लिए ज्यादा प्रसिद्ध है।

यह गार्डन बच्चों के लिए सबसे ज्यादा मन पसंदीदा है। क्योंकि इस गार्डन के अंदर एक चॉकलेट की फैक्ट्री भी है। इसके अतिरिक्त यहां पर एक रेस्टोरेंट भी है, जहां पर आप स्वादिष्ट व्यंजन का आनंद ले सकते हैं।

यह गार्डन पूरी तरीके से हरे-भरे और खूबसूरत पेड़ पौधों से भरा हुआ है। यहां पर एक नर्सरी भी है, जिसके अंदर बड़ी संख्या में विभिन्न प्रजाति के पेड़-पौधे और फूल संग्रहित करके रखे गए हैं।

इस गार्डन में सबसे ज्यादा भीड़ हर साल मार्च या अप्रैल महीने के दौरान होता है। क्योंकि इस महीने यहां पर 3 दिन का स्ट्रौबरी महोत्सव वार्षिक कार्यक्रम आयोजित होता है।

यह कार्यक्रम यहां पर स्ट्रौबरी की खेती को बढ़ावा देने के लिए चार-पांच साल पहले से ही शुरू किया गया है।

पारसी पॉइंट
अगर आप बाबलेश्वर में सूर्योदय और सूर्यास्त के अद्भुत नजारे को देखने का लुफ्त उठाना चाहते हैं तो आपको पारसी प्वाइंट जरूर जाना चाहिए। यह महाबलेश्वर में घूमने लायक लोकप्रिय स्थानों में से एक है।

पारसी समुदायों के द्वारा यह जगह एक लोकप्रिय पिकनिक स्पॉट हुआ करता था, इसीलिए इस जगह का नाम पारसी प्वाइंट पड़ा है। यहां से आप कृष्णा नदी घाटी और धोम बांध के अद्भुत दृश्य को देख सकते हैं।

मानव निर्मित वेन्ना झील
यह महाबलेश्वर की सबसे अच्छी जगह में से एक है, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। सन 1942 में अप्पासहेव ने इस झील का निर्माण करवाया था।

झील के चारों तरफ कई सारे पेड़ लगे हुए हैं। यहां पर पर्यटकों के लिए बोटिंग की भी व्यवस्था की गई है। इसके अलावा झील के किनारे आप हॉर्स राइडिंग का भी मजा ले सकते हैं।

लोग यहां पर परिवार के साथ पिकनिक मनाने भी जाते हैं। इसके अलावा झील के किनारे भोजन के कई सारे स्टाल लगे हुए हैं।

यदि आप इस झील को देखना चाहते हैं तो आपको बस स्टैंड से करीब 2 किमी की दूरी तय करनी होगी।

इस जगह पर बहुत अधिक पर्यटक देखने के लिए आते हैं। महाबलेश्वर में घूमने के लिए यह भी सबसे अच्छी जगह में से एक है।

कृष्णा बाई मंदिर
यदि आप महाबलेश्वर मंदिर से इस मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं तो आपको 300 मीटर की दूरी तय करनी होगी। वहीं महाबलेश्वर के बस स्टैंड से इस मंदिर की दूरी 6 किमी है।

कृष्णा बाई मंदिर प्राचीन मंदिर में से एक है। यह महाबलेश्वर के प्रसिद्ध तीर्थ पर्यटक स्थल में से एक है। इस मंदिर को नदी का एक श्रोत माना जाता है।

यह मंदिर कृष्णा घाटी की सबसे उपरी सतह पर बना हुआ है। मंदिर का निर्माण 1888 में रत्नागिरी के किसी व्यक्ति ने करवाए थे।

मंदिर के अंदर शिव लिंगम और देवी कृष्ण की बड़ी से प्रतिमा लगी हुई है। मंदिर में भक्तों और पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है।

वेलोसिटी एंटरटेनमेंट
अगर आप महाबलेश्वर घूमने जा रहे हैं और वहां पर आप ऐसे स्थान की तलाश में हैं, जहां पर आपको विभिन्न खेल खेलने का मौका मिले तो वेलोसिटी एंटरटेनमेंट पार्क आपके लिए सबसे पसंदीदा डेस्टिनेशन हो सकता है।

यह जगह बच्चों और व्यस्क दोनों के लिए एक रोमांचकारी समय प्रदान करता है। यहां पर आप एयर हॉकी, जाइरोस्कोप, डैशिंग कार, गो-कार्टिंग, ज़ोरबिंग, बास्केटबॉल और मेरी-गो-राउंड जैसे कई सारे आउटडोर और इंडोर खेलों का साथ में लुफ्त उठा सकते है।

यह पार्क सुबह 9:00 बजे से रात 11:00 बजे तक खुला रहता है। यहां पर विभिन्न खेलों के अनुसार 50 से ₹600 तक का लागत लगता है।

मोम संग्रहालय
महाबलेश्वर में घूमने लायक प्रमुख स्थानों में से एक मोम संग्रहालय है। यह महाबलेश्वर में बच्चों एवं व्यस्को के बीच काफी ज्यादा लोकप्रिय है।

यहां पर आप मॉम से बने कई बड़े-बड़े हस्तियों के प्रतिमा को देख सकते हैं। गांधी जी से लेकर सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे कई राजनेता की भी मोम से बनी प्रतिमा यहां मौजूद है।

इसके अतिरिक्त यहां पर नेत्रहीन बच्चों के द्वारा मोमबत्तियों का संग्रह भी प्रदर्शित किया जाता है, जिसे आप स्मृति चिन्ह के रूप में खरीद सकते हैं और नेत्रहीन बच्चों की मदद में थोड़ा योगदान दे सकते हैं।

यह संग्रहालय महाबलेश्वर में जामा मस्जिद रोड पर स्थित है। इस संग्रहालय में ₹200 प्रति व्यक्ति प्रवेश शुल्क लगता है। यह संग्रहालय सुबह 11:00 बजे से रात के 8:30 बजे तक खुला रहता है।

बॉम्बे प्वाइंट
यह जगह भी महाबलेश्वर के सबसे प्रसिद्ध जगह में से एक है। बस स्टैंड से इस जगह की दूरी करीब 4 किमी की है। इसको के नमो से जाना जाता है। सन सेट प्वाइंट, मुंबई प्वाइंट, बॉम्बे पॉइंट आदि।

इस जगह से महाबलेश्वर की घाटियों को आराम से देखा जा सकता है। यह सबसे पुराने प्वाइंट में से एक है। यह पुरानी रोड पर स्थित है। जिस कारण से इसको बॉम्बे प्वाइंट के नाम से जाना जाने लगा।

प्रतापगढ़ किला
यह किला ऐतिहासिक किले में से एक है, जो कि प्रतापगढ़ की पहाड़ी पर स्थित है। इस किले में वीर शिवाजी और अफजल खान के बीच युद्ध हुआ था। जिसमें शिवाजी ने अफजल खान को मौत के घाट उतार दिया था।

यह मराठा के जीत का प्रमाण है। यह किला 3454 फीट की ऊंचाई पर बना हुआ है।

प्रतापगढ़ किला महाराष्ट्र के सतारा जिले में बना हुआ है। महाबलेश्वर से इस किले की दूरी 21 किलोमीटर है, जो कि प्रतापगढ़ की पहाड़ी पर बना है।

पंचगिनी
पंचगीनी पांच पहाड़ियों से घिरी हुई जगह को कहते है। यह जगह भी महाराष्ट्र के मुंबई की तरफ है। इसको हिल स्टेशन के रूप में भी जाना जाता है।

इस जगह को ब्रिटिश काल से इस्तेमाल किया जा रहा है। ब्रिटिश लोगों ने इस जगह पर गुलामों को जेल में डाला जाता था।

तपोला
यह महाबलेश्वर का एक गांव है, जिसको तपोला गांव के नाम से जानते है। बहुत से लोग इस गांव को मिनी कश्मीर के नाम से भी जानते है। इस गांव की प्राकृतिक और सुंदरता देखने के लिए दूर दूर से पर्यटक आते रहते हैं।

इसके पास में ही जयगढ़ झील और वसोटा झील बनी हुई है, जो कि घने जगल से घिरी हुई है। यहां पर बहुत से किले बने हुए हैं, जिनके बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है।

लौडविक प्वाइंट
इस प्वाइंट को देखने जाने के लिए आपको महाबलेश्वर बस स्टैंड से 5 किमी की दूरी पर जाना होगा। लौडविक प्वाइंट की समुद्र तल से दूरी लगभग 4087 फीट की है।

इस पहाड़ी पर सबसे पहले ब्रिटिश अधिकारी वर्ष 1824 में चढ़े थे। ब्रिटिश अधिकारी जर्नल लैंडविक को सम्मान देने के लिए उकने पुत्र ने पहाड़ी की चोटी को 25 फीट ऊंचा कर दिया था।
आप इस जगह पर आकर घूम सकते हैं। इस जगह पर जाने के लिए आपको कई सारे साधन मिल जायेंगे, जिनकी सहायता से आप आसानी से इस जगह पर जा सकते हैं।

महाबलेश्वर का प्रसिद्ध भोजन
महाबलेश्वर में खाने के लिए बहुत सारी चीजे हैं लेकिन यहां पर साबी अधिक लोग स्ट्राबेरी को खाना पसंद करते है। यहां के लोग कई प्रकार की डिश में स्ट्राबेरी का इस्तेमाल करते हैं। यह महाराष्ट्र में है तो यहां का प्रसिद्ध भोजन बड़ा पाव है।

बड़ा पाव को लोग अधिक खाते हैं। इसके मीठे में मूंगफली के दाने से बनी हुई चिक्की को खाते हैं, जो कि यहां की सबसे फेमस मिठाई में से है। यदि आप महाबलेश्वर घूमने के लिए जाए तो चिक्की खाना न भूले।

महाबलेश्वर में जाने का सही समय (Best Time to Visit Mahabaleshwar)
यदि आप महाबलेश्वर में घूमना चाहते है तो आप कभी भी घूम सकते हैं क्योंकि वर्ष भर यहां पर हल्की बारिश होती रहती है, जिसके कारण यहां का मौसम काफी सुहावना रहता है।

शादी शुदा जोड़ा यहां पर हनी मून मनाने के लिए आते रहते हैं। आप महाबलेश्वर में घूमने के लिए कभी भी आ सकते हैं।

महाबलेश्वर से लोनावला भी पास में ही स्थित है। आप वहां पर भी घूमने के लिए जा सकते हैं। आप जुलाई से लेकर अक्टूबर महीने के बीच में महाबलेश्वर में घूमने के लिए जा सकते हैं। इस दौरान यहां पर अधिक पर्यटक लोग आते हैं।

महाबलेश्वर में रुकने की जगह
महाबलेश्वर में घूमने जाने पर आप यहां के होटल और रेस्टोरेंट बने हुए हैं। यहां पर आपको प्राचीन मंदिर और झरने देखने को मिलते हैं।

इसके अलावा यह एक टूरिस्ट प्लेस है, इस कारण से अधिक होटल बने हुए हैं। आप अपने बजट के अनुसार होटल को ले सकते हैं।

महाबलेश्वर कैसे जाए?
महाबलेश्वर घूमने जाने के लिए आप ट्रेन, बस और हवाई जहाज का प्रयोग कर सकते हैं।

बस से महाबलेश्वर कैसे जाएं?
महाबलेश्वर महाराष्ट्र में है। इसके अलावा यह पुणे, सतारा, कोल्हापुर आदि जगह से महाबलेश्वर जाने के लिए प्रतिदिन कई सारी बस जाया करती है।

इसके अलावा टैक्सी और कैब का भी प्रयोग कर सकते हैं। आप सीधे मुंबई से महाबलेश्वर तक बस द्वारा जा सकते हैं।

हवाई जहाज से महाबलेश्वर कैसे जाएं?
हवाई जहाज से महाबलेश्वर जाना चाहते हैं तो आपको पुणे के हवाई अड्डे पर उतरना होगा। आप भारत के किसी भी शहर से पुणे एयरपोर्ट के लिए हवाई जहाज की यात्रा कर सकते हैं।

ट्रेन से महाबलेश्वर कैसे जाएं?
ट्रेन से महाबलेश्वर जाने के लिए आपको थोड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। यहां से 60 किमी की दूरी पर वाथेर रेलवे स्टेशन है।

ट्रेन यात्रा के दौरान आपको इस स्टेशन पर आना होगा। आप मुंबई और पुणे के रेलवे स्टेशन से ट्रेन के द्वारा आ सकते हैं।


FAQ
महाबलेश्वर में घूमने के लिए सबसे अच्छा महिना कौन सा है?
यदि आप यहां घूमने जाना चाहते हैं तो आपको जुलाई से लेकर नवंबर के महीने के बीच में जाना चाहिए।

घूमने जाने के लिए कितना बजट होना चाहिए?
महाबलेश्वर में घूमने के लिए आपके पास कम से कम 25,000 रुपए से लेकर 30,000 रुपए के बीच का बजट होना चाहिए तब आप आसानी से घूम सकते है।

महाबलेश्वर का प्रसिद्ध भोजन क्या है?
स्ट्राबेरी यहां का प्रसिद्ध भोजन है।

महाबलेश्वर किस लिए प्रसिद्ध है?
महाबलेश्वर सुंदर नदी, शानदार झरने, खूबसूरत स्टॉबरी के फार्म, प्राचीन मंदिर, हरे-भरे जंगल, झरने, पहाड़ घाटिया इत्यादि के लिए प्रसिद्ध है।

पुणे से महाबलेश्वर की दूरी ई दूरी कितनी है?
पुणे से महाबलेश्वर की दूरी 120.3 किलोमीटर (via NH 48) है।

निष्कर्ष
इस लेख में महाबलेश्वर में घूमने की जगह (Mahabaleshwar Me Ghumne ki Jagah) के बारे के सम्पूर्ण जानकारी दी है। इसके अलावा महाबलेश्वर कैसे जाए, महाबलेश्वर कहां है आदि के बारे में भी बताया है।

आशा करता हूँ यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा। यदि आपको लेख में दी गई जानकारी पसंद आती है तो इसे आगे शेयर जरुर करें। इससे जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर बताएं।
Tags :-

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !