बरसाना की लट्ठमार होली देश-विदेश में प्रख्यात है। यह ऐसी होली है, जिसमें पुरुष महिलाओं को रंग लगाते हैं और महिलाएं उन्हें लाठी से पिटती है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। लठमार होली के समय मंदिर के प्रशासन की तरफ से गुलाल के साथ-साथ मिठाइयों को भी फेंका जाता है, जिसे श्रद्धालु प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।
बरसाना भगवान कृष्ण की प्रेयसी राधा का जन्म स्थान भी है, जो वृंदावन से सटा हुआ है। बरसाना में द्वापर युग के कई सारी रहस्यमई मंदिरे, राधा रानी मंदिर और भगवान कृष्ण राधा के संग और अन्य गोपियों के संग की रासलीला का झलक भी यहां पर पर्यटकों को देखने को चारों तरफ मिलता है।
यदि भगवान श्री कृष्ण के नटखटपन और उनके रासलीलाओ के झांकियां देखने बरसाना जाना चाहते हैं तो बिल्कुल सही लेख पर आए हैं।
आज के लेख में हम आपको बरसाना की यात्रा से जुड़ी सभी आवश्यक जानकारी देने वाले हैं, जिसमें हम आपको बरसाना से जुड़ी कई रोचक तथ्य, बरसाना में पर्यटन स्थल (Barsana Me Ghumne Ki Jagah), बरसाना में लोकप्रिय भोजन, साथ ही बरसाना कैसे जाएं और कैसे घुमे इत्यादि सभी चीजें बताने वाले हैं तो लेख हो अंत तक जरूर पढ़ें।
बरसाना के बारे में रोचक तथ्य
बरसाना और वृंदावन एक दूसरे से सटा हुआ है। वृंदावन में भगवान श्री कृष्ण का पालन-पोषण हुआ वहीं बरसाना में मां लक्ष्मी की साक्षात रुप राधा रानी का जन्म हुआ था। माना जाता है भगवान श्री कृष्ण अक्सर अपने ग्लाले शाखाओं के साथ बरसाना में राधा और उनकी सखियों से मिलने आते थे। भगवान श्री कृष्ण का बचपन किन्हीं दो गांव के बीच में बिता।
बरसाना के बीचो बीच एक पहाड़ की चोटी पर राधा रानी का मंदिर है। बरसाना में राधा की मां कीर्ति का भी मंदिर बनाया गया है।
बरसाना में भगवान श्रीकृष्ण की कई चंचल और नटखट कृतियों की झांकियां दिखाई गई है। यहां पर राधा रानी के साथ उनकी कई रास लीलाओं को भी दिखाया गया है।
बरसाना में बांके बिहारी, कीर्ति मंदिर, मान मंदिर, मोर कुटी, चित्र सखी मंदिर, ललिता मंदिर, नन्द गांव का मंदिर, भोजन थाली मंदिर, दोउ मिलवां मंदिर जैसी कई सारी ऐतिहासिक और धार्मिक मंदिर है।
बरसाना की लट्ठमार होली विश्व प्रसिद्ध है।
बरसाना में घूमने की जगह (Barsana Tourist Places in Hindi)
राधा कृष्ण बाग़
बरसाना में राधा मंदिर के दर्शन के बाद कुछ ही दूर राधा कृष्ण बाग है। यह बाग पर्यटकों के लिए बहुत ज्यादा आकर्षण का जगह है। क्योंकि प्रकृति के सुंदर वातावरण के बीच बसे इस बाग में भगवान श्री कृष्ण और राधा की प्रेम लीला के साक्षात दर्शन होते हैं।
यहां पर कई सारे पेड़ पौधे हैं, जिनमें से कुछ पेड़ लगभग आज से 5000 वर्ष पुराने यानी कि द्वापर युग के समय के माने जाते हैं। कहा जाता है कि एक बार भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी यहां पर बैठे हुए थे तब धूप से बचने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने दो वृक्ष को उत्पन्न किया था और वही वृक्ष आज भी मौजूद है।
राधा रानी मंदिर
बरसाना का राधा रानी मंदिर बरसाना के मानचित्र पर एक अद्वितीय स्थान रखता है। हालांकि यहां पर अन्य कई सारे धार्मिक स्थल और पर्यटन स्थल है लेकिन राधा रानी का मंदिर बहुत लोकप्रिय है। यह मंदिर बरसाना के बीचो बीच एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है।
कहा जाता है इस मंदिर को भगवान श्री कृष्ण के पोते ब्रजनाथ द्वारा 5000 साल पहले स्थापित किया गया था। हालांकि इसके बाद यह मंदिर खंडहर में बदल गया था। लेकिन नारायण भट्ट द्वारा इस मंदिर को खोजने के बाद राजा वीर सिंह द्वारा 1675 ईस्वी में मंदिर को दुबारा बनाया गया।
हालांकि वर्तमान संरचना का निर्माण नारायण भट्ट ने राजा टोडरमल की मदद से करवाया था, जो मुगल राजा अकबर के दरबार के राज्यपाल थे। सफेद और लाल पत्थरों के इस्तेमाल से बनाया गया यह मंदिर वास्तुकला की उत्कृष्ट कृति है।
जन्माष्टमी के 15 दिन बाद राधा रानी का जन्म हुआ था और इस दिन बरसाना के इस राधा रानी के मंदिर को फूलों से सजाया जाता है और 56 प्रकार के व्यंजनो का भोग लगाया जाता है। बरसाना के धार्मिक स्थलों में यह स्थान प्रमुख आकर्षण है।
ललिता सखी मंदिर बरसाना
ललिता सखी मंदिर राधा रानी की सखी का मंदिर है। राधा रानी कि 8 सखियां उनकी सबसे प्रिय थी और उनके बिना ब्रजमंडल की लीला अधूरी थी। उनके सखियों में ललिता राधा रानी से 2 दिन बड़ी थी।
इस मंदिर को बरसाना में स्थित ऊंचा गांव में निर्मित किया गया है। ललिता राधि रानी की ज्येष्ट सखी होने के कारण यहां पर उनके जन्मदिन को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। बरसाना जाने वाले दर्शनार्थी इस मंदिर का दर्शन करने जरुर आता है।
कीर्ति मंदिर
बरसाना में रंगीली महल के करीब स्थित प्रसिद्ध कृति मंदिर को अद्भुत कलाकृतियों से आकर्षक बनाया गया है। यह मंदिर राधा रानी की मां जिनका नाम कीर्ति था, उनको समर्पित है।
यह दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां पर राधा रानी की मूर्ति को उनकी मां के गोद में बिठाया हुआ प्रदर्शित किया गया है। मंदिर के सामने एक लॉन भी है, जहां पर दर्शनार्थी कुछ समय बैठ कर आराम कर सकते हैं।
चित्रासखी मंदिर बरसाना
चित्रसखी मंदिर मां राधा रानी के एक सखी का मंदिर है, जो बरसाना के चिकसौली गांव में स्थित है। कहा जाता है राधा रानी की यह सखी चित्र कला प्रेमी थी, जिन्होंने सर्वप्रथम भगवान कृष्ण का चित्र बनाया था।
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार राधा रानी के भाई मां यशोदा से भगवान श्री कृष्ण की एक तस्वीर मांगते हैं तब मां यशोदा चित्रा को बुलाकर भगवान श्री कृष्ण की एक सुंदर छवि बनाने के लिए बोलती है।
उसके बदले में वह चित्रा को मनचाहा चीज देने का वचन देती है। छवि बनने के बाद चित्रा मां यशोदा को भगवान श्री कृष्ण को उन्हें दे देने की इच्छा मांगती है। वचनबद्ध यशोदा मां इस बात को सहन नहीं कर पाती कि अपने लाडले कन्हैया को किसी और को कैसे दे दूं, जिसके कारण मां यशोदा मूर्छित होकर गिर पड़ती है। तब भगवान श्रीकृष्ण चित्रा को मां यशोदा के वचन वापस लौटाने के लिए आग्रह करते हैं और एक रूप में चित्रा के कुंज में निवास करने का वचन देते हैं।
इस कारण यह मंदिर बरसाना जाने वाले दर्शनार्थियों के लिए काफी महत्त्व रखता है। चित्रासखी मंदिर में राधे श्याम की सेविका के रूप में चित्रशाखी को प्रदर्शित किया गया है। यहां पर एक सुंदर बगीचा भी है, जहां पर दर्शनार्थी प्राकृतिक नैसर्गिक वातावरण के बीच विश्राम कर सकते हैं और शांति का अनुभव कर सकते हैं।
संकरी खोर
यह संकरी खोर ब्रह्मगिरि पर्वत और विलास पर्वत के बीच है। इस मार्ग से गोपिया नियमित रूप से अपने दूध उत्पादों को बाजार में बेचने के लिए ले जाती थी।
इस दौरान यहां पर भगवान श्री कृष्ण और उनके शाखाओं की टोली गोपियों को इस मार्ग से जाने के बदले में उनसे दूध, दही और माखन की मांग करते थे। गोपियों को उनकी मांग के अनुसार दूध, दही, मक्खन देने के बाद ही गोपियों को जाने देते थे।
चूंकि बाजार जाने के लिए यह एकमात्र मार्ग हुआ करता था, जिसके कारण गोपियों को उन्हें दूध दही देना पड़ता था और यदि गोपियां दूध, दही या मक्खन नहीं देती थी तो गोपियों के मटके को फोड़ देते थे। भगवान श्री कृष्ण और उनके साथ सिखाओ के नटखट कृतियों की झांकियां संकरी खोर में प्रदर्शित की गई है।
बरसाना में लोकप्रिय स्थानीय भोजन
बरसाना सुप्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जहां पर लाखों की संख्या में पर्यटक आते रहते हैं। ऐसे में यहां पर रेस्टोरेंट, ढाबे और स्टॉल की कमी नहीं है। यहां पर पर्यटकों को उत्तर भारत के विभिन्न स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद लेने का मौका मिल सकता है।
हालांकि यह एक धार्मिक स्थान होने के कारण यहां पर केवल शाकाहारी भोजन परोसे जाते हैं लेकिन भोजन का स्वाद लाजवाब होता है। बरसाना के पर्यटकों के बीच कुछ ज्ञलोकप्रिय व्यंजन निम्नलिखित हैं:
लस्सी
बरसाना यादव समुदाय से जुड़ा हुआ है, जो शुरुआत से ही गाय पालने के पेशे में जुड़े हुए थे। जिस कारण यहां पर दूध दही से बनने वाली कई साड़ी व्यंजन देखने को मिल जाती है। उन्हीं में से एक लस्सी है, जिसे मिट्टी के कुल्हड़ में परोसा जाता है।, जो मलाईदार दही और सूखे मेवों से तैयार किया जाता है। यहां के लस्सी का स्वाद आप कभी भी नहीं भूल सकते।
रबड़ी
बरसाना की रबड़ी काफी प्रसिद्ध है। तेज आंच पर दूध को गर्म करके रबड़ी को तैयार किया जाता है और मालपुआ या फिर अकेली भी उसे खाया जाता है। बरसाना की यात्रा के दौरान रबड़ी का स्वाद जरूर लें।
पेड़ा
मथुरा का पेड़ा देश भर में प्रसिद्ध है, जो बरसाना में जगह-जगह पर आपको मिल जाएगा। यहां पर पेड़े को प्रसाद के रूप में खरीदा जाता है। यह पेडे अलग अलग स्वाद के साथ अलग-अलग आकार में बेचे जाते हैं।
इसके अतिरिक्त समोसा, कचौरी, मालपुआ और अन्य कई प्रकार की उत्तर भारतीय भोजन और देश भर में प्रसिद्ध स्ट्रीट फूड बरसाना में मिलते है। तो बरसाना जाएं तो इन सभी स्वादिष्ट व्यंजनों का स्वाद एक बार जरूर ले लें।
बरसाना कैसे पहुंचे?
बरसाना की यात्रा के लिए हवाई मार्ग का चयन करना चाहते हैं तो आप आगरा में स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय हवाई अड्डे की टिकट बुक कर सकते हैं। यह हवाई अड्डा बरसाना का सबसे निकटतम हवाई अड्डा है, जो बरसाना से लगभग 115 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। आप 2 से 3 घंटे के भीतर किसी भी वाहन की मदद से हवाई अड्डे से बरसाना पहुंच सकते हैं।
बरसाना मथुरा के अंतर्गत आता है और उत्तर प्रदेश का यह जिला भारत के विभिन्न राज्यों के सड़क मार्ग से अच्छे से जुड़ा हुआ है। यदि आप उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं तो यूपीएसआरटीसी द्वारा संचालित बस की यात्रा से यहां पहुंच सकते हैं और यदि आप किसी अन्य राज्य से है तो लग्जरी बस से यहां की यात्रा कर सकते हैं।
यदि बरसाना की यात्रा के लिए आप रेलवे मार्ग का चयन करना चाहते हैं तो बता दे कि बरसाना का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन मथुरा जंक्शन है, जो मथुरा में है। बरसाना मथुरा के अंतर्गत आता है।
यह रेलवे स्टेशन बरसाना से लगभग 52 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां के लिए आपको किसी भी शहर से ट्रेन मिल जाएगी। ज्यादातर लोग रेलवे मार्ग के जरिए बरसाना पहुंचने के लिए इसी रेलवे स्टेशन की टिकट बुक करते हैं।
बरसाना घूमने जाने का सही समय
अप्रैल से जून के महीने में बरसाना में तापमान 30 से 41 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है, जिसके कारण इस दौरान यहां पर यात्रा करना काफी घुटन भरा हो सकता है। ऐसे में बरसाना घूमने का सबसे अच्छा मौसम सर्दियों का होता है। नवंबर से मार्च के दौरान यहां पर तापमान लगभग 12 से 20 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है, जिससे वातावरण ठंडा और सुखद होता है।
यह यात्रा के लिए काफी अच्छा समय होता है। हालांकि बरसाना एक धार्मिक स्थल है, जिसके कारण साल के हर मौसम में यहां पर पर्यटकों की भीड़ होती है। हालांकि बरसाना घूमने का ज्यादा आनंद राधा अष्टमी, कृष्ण जन्माष्टमी और होली के समय आता है क्योंकि यह तीनों पर्व वहां पर काफी धूमधाम से और शानदार शैली में मनाया जाता है।
FAQ
नंदगांव बरसाना से कितनी दूरी पर स्थित है?
नंदगांव बरसाना से 8.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
क्या वृंदावन और बरसाना एक है?
नहीं वृंदावन और बरसाना दोनों अलग-अलग है लेकिन दोनों गांव समीप है। वृंदावन में भगवान श्री कृष्ण का पालन पोषण हुआ था, वहीं बरसाना में राधा रानी का जन्म हुआ था।
क्या बरसाना जिला है?
नहीं बरसाना कोई जिला नहीं है। बरसाना उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित एक धार्मिक जगह है, जहां पर भगवान श्री कृष्ण की प्रेयसी राधा रानी का जन्म हुआ था।
क्या बरसाना में खरीदारी कर सकते हैं?
हां बरसाना में सभी मंदिरों के बाहर कई सारे छोटे-छोटे स्टॉल और दुकान दिख जाएंगे, जहां पर दीया, मोमबत्ती इत्यादि पूजा पाठ से संबंधित चीजे साथ ही भगवान श्री कृष्ण की मूर्तियां, कपड़े, साड़ी हस्तशिल्प और हाथ से बुने कई सारे उत्पाद भी बेचे जाते हैं, जिसे आप खरीद सकते हैं।
राधारानी का मंदिर कहां पर है?
राधा रानी का मंदिर बरसाना में 250 मीटर ऊंची एक पहाड़ी पर स्थित है।
लठमार होली क्यों खेली जाती है?
लठमार होली के बारे में मान्यता है कि होली के दिन भगवान श्री कृष्ण बरसाना राधा रानी से मिलने के लिए जाते हैं, जहां पर भगवान श्री कृष्ण और उनके ग्वाले सखा राधा और उनके सखियों के साथ छेड़खानी करते हैं। तब राधा रानी और उनकी सखियां हाथों में छड़ी लेकर उनके पीछे मारने के लिए भागती है। तब से ही बरसाना में लठमार होली खेलने की परंपरा है।
निष्कर्ष
भगवान श्री कृष्ण के नटखटपन और राधा और गोपियों के साथ उनकी रासलीला के बारे में आपने कई सारी कहानी सुनी होगी लेकिन उसकी एक झलक लेने के लिए बरसाना जरूर जाएं। हमें उम्मीद है कि आज के इस लेख में बरसाना में घूमने की जगह (Barsana Me Ghumne ki Jagah) सभी आवश्यक जानकारी आपको अच्छी लगी होगी।
यह जानकारी आपकी बरसाना की यात्रा को सुगम बनाने में मदद करेगी। यदि लेख अच्छा लगा हो तो इसे अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए अपने दोस्तों में जरूर शेयर करें। साथ ही लेख से संबंधित कोई भी प्रश्न या सुझाव हो तो आप कमेंट सेक्शन में जरूर लिखकर बताएं।